Tuesday, December 22, 2015

अरविन्द केजरीवाल भरष्टाचार से ऐसे लड़ते हैं

आज ट्विटर पर प्रमुख ट्रेंड चल रहा है #OnlyKejriwalFightsCorruption किन्तु पूर्व में घटित हुई घटनाएं कुछ विपरीत कथा कहती हैं, आज मैं आपका ध्यान उन घटनाओं व् तथ्यों की ओर आकर्षित करूँगा,

सर्वप्रथम 21 जनवरी 2014 की बात करते हैं जब श्री केजरीवाल ने 26 जनवरी की परेड न होने देने की धमकी दी थी व् स्वयं को अराजकतावादी घोषित किया था, वह भी इसलिए की उन्हें अपने कानून मंत्री सोमनाथ भारती को बचाना था जो की महिलाओं से अभद्रता, दुर्व्यवहार, स्पैमिंग व् पोर्न साइट्स वेबमास्टर के रूप में कुख्यात है, क्या अपराधी का बचाव करना व् राष्ट्रिय पर्व में व्यवधान डालने की चेष्टा भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं आता ?

केजरीवाल अपने को अराजकतावादी घोषित करते हुए 
केजरीवाल ने दी गणतंत्र दिवस परेड रुकवाने की धमकी 
  
 


अरविन्द केजरीवाल ने अन्ना हजारे के जनलोकपाल आन्दोलन के समय मंच पर खड़े होकर लालू यादव को भ्रष्ट घोषित किया था, आगे चलकर लालू भारतीय राजनीती के पहले नेता बने जिन्हें कोर्ट ने भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध होने पर उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द की, अर्थात वो कोर्ट द्वारा प्रमाणित व् सत्यापित भ्रष्ट व्यक्ति है, किन्तु स्वघोषित इमानदार केजरीवाल जो पहले लालू को भ्रष्ट कह रहे थे, वही राजनितिक लाभ के लिए न केवल लालू का बिहार चुनाव में समर्थन कर रहे थे, अपितु चुनाव परिणाम आने के पश्चात सार्वजनिक रूप से मंच पर लालू यादव से गलबहियां करते भी पाए गए थे,  अब केजरीवाल के सिद्धांतों नीतियों व् आदर्श के विषय में क्या यह कहना अनुचित होगा की राजनितिक लाभ के लिए केजरीवाल आदर्शों व् सिद्धांतों का त्याग कभी भी कर सकते हैं, या फिर ये भी कहा जा सकता है की केजरीवाल इमानदार व् आदर्शवादी होने का केवल पाखंड करते हैं जनता का विशवास प्राप्त करने हेतु, 
केजरीवाल व् लालू की गलबहियां

   

आपको याद होगा जिस दिन राजेन्द्र कुमार पर CBI का छापा पड़ा था उस दिन केजरीवाल ने कहा था की यदि मेरे बेटे के ऊपर भी भ्रष्टाचार का आरोप हुआ तो उसे भी छोडूंगा नहीं, अब इस समाचार पर ध्यान दीजिये जो केजरीवाल के पिता पर छापा था, क्या कभी केजरीवाल ने इस विषय पर एक भी शब्द कहा ? यदि नहीं, तो क्या हम समझें की उनकी बातें निरर्थक है व् उनका सत्य से कोई लेना देना नहीं है
 केजरीवाल के पिता ने बहन को मां बताकर हड़प ली जमीन


 हम सबको स्मृत है की केजरीवाल पहले कहते थे की उनको राजनीती में नहीं आना व् उनका कोई राजनितिक उद्देश्य नहीं है, किन्तु वे आये जो की उनका अधिकार है, किन्तु जनता को कुछ आश्वासन देना फिर उसपर अडिग न रहना कितना नैतिक है यह मैं नहीं जनता,
केजरीवाल कहते थे की हमें सरकारी सुरक्षा, सरकारी बंगले, सरकारी गाडी, वेतन व् भत्ते नहीं चाहिए किन्तु अब इन घटित हुई घटनाओं को देखिये
केजरीवाल ने मुख्यमंत्री बनते ही की दो बंगलों की मांग

विचार करिए जो आदमी जनता के सामने पहले कहता फिरता था की हमें कुछ नहीं चाहिए हम केवल राष्ट्र की सेवा व् भ्रष्टाचार से लड़ने आये हैं उसने मुख्यमंत्री बनते ही एक नहीं बल्कि दो बंगलों की मांग कर डाली, आखिर ऐसा हृदय परिवर्तन कैसा हो गया ? और यदि नहीं हुआ तो इसका अर्थ है की राजनितिक हित साधने हेतु जनता से झूठ बोलकर उसे मूर्ख बनाया व् वोट हथिया लिया,

केजरीवाल ने अपना व् विधायकों का वेतन 400% बढाया 

आज की परिस्थिति ये है की केजरीवाल व् दिल्ली के विधायकों का वेतन लोकसभा के सांसद यहाँ तक की प्रधानमन्त्री के वेतन से भी अधिक है, यहाँ ध्यान देने योग्य बात ये है की पूरे भारत में सबसे अधिक वेतन लेने वाले विधायक व् मंत्री दिल्ली के हैं, जो की एक पूर्ण राज्य तक नहीं है, क्या जनता के धन की अपनी मर्जी से बन्दरबांट करना भ्रष्टाचार की श्रेणी में नहीं आता ?
 क्या केजरीवाल ने उत्तर दिया की जो व्यक्ति मात्र समाजसेवा के नाम परमुख्यमंत्री बना था, उसके मन में इतनी लालच अचानक कैसे आ गयी की उसे अपना वेतन व् भत्ते 400% बढ़ाना पड़ा, या फिर वो भी उन्ही लोगों में से एक निकला जिन्हें कोसकर,गलियां देकर वो मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचा था,

केजरीवाल ने अब तक असंख्य लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं किन्तु आजतक किसी के विरुद्ध कोई साक्ष्य या प्रमाण नहीं प्रस्तुत किया, कभी शीला दीक्षित के विरुद्ध 370 पन्नों के सबूतों की बात करने वाले केजरीवाल उन्हें बाद में ईमानदार घोषित करते भी पाए गए, नितिन गडकरी पर भी ऐसे ही आरोप लगाये थे, परिणामस्वरूप गडकरी इन्हें कोर्ट ले गए जहाँ केजरीवाल कोर्ट के सामने कोई प्रमाण या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर पाए,  इन्हें जेल भी जाना पड़ा, व् अंत में इन्हे नितिन गडकरी से क्षमा मांगनी पड़ी,

किन्तु ध्यान देने योग्य बात ये है की दूसरों पर अनर्गल आरोप लगाने वाला स्वयं भ्रष्टाचार के कई गम्भीर आरोपों से घिरा हुआ है, जैसे की प्याज खरीद घोटाला जिसमे केजरीवाल ने 18 रूपये/किलो प्याज खरीदा किन्तु दिल्ली वालों को वही प्याज 30 रूपये/किलो बेचा गया,

केजरीवाल ने दिल्लीवासियों को 18 रूपये का प्याज 30 रूपये का बेचा

यह अकेली घटना नहीं है, प्याज घोटाले के बाद केजरीवाल ने चीनी घोटाला भी किया जिसमे केंद्र सरकार से 90 प्रतिशत सब्सिडी लेकर दो कम्पनियों से 101000 क्विंटल चीनी खरीदी गयी जिनके मालिक केजरीवाल के करीबी बताये जा रहे हैं, चीनी 34 रूपये/किलो के हिसाब से खरीदी गयी, जबकि उसी समय दिल्ली में चीनी का थोक भाव 19 रूपये/किलो था,

केजरीवाल पर और भी घोटालों के आरोप हैं जिनमे से एक है 526 करोड़ का एड घोटाला जिसमें जनता के 526 करोड़ रूपये केजरीवाल ने अपना व् अपनी पार्टी का प्रचार करने में खर्च किये, रोचक बात ये हैं की सारे ठेके जिस कम्पनी को दिए गए उस कम्पनी का मालिक कोइ और नहीं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री, केजरीवाल के करीबी मनीष सिसोदिया का रिश्तेदार है,इस प्रकार पद का दुरूपयोग कर जनता के धन की लूट का ये एक अनूठा मामला है  

केजरीवाल का 526 करोड़ का एड घोटाला, ठेके दिए सिसोदिया के रिश्तेदार को


इनके अलावा और भी कई वित्तीय गड़बड़ियां की हैं केजरीवाल ने, जिसमें अपनी करीबी स्वाति मालीवाल को DCW का अध्यक्ष बना दिया गया जबकि उनके पास न तो इस विषय में कोई अनुभव है न ही इस पद लिये योग्यता ही है, उसी प्रकार हर आम आदमी पार्टी के विधायक व् मंत्री को जो सहयोगी व् ड्राइवर उपलब्ध करवाए गये हैं वे आम आदमी पार्टी के कार्यकर्त्ता हैं जिन्हें नियमों को किनारे रखकर नौकरी दे दी गयी है, उनमे से 80% के पास तो स्नातक की डिग्री तक नहीं है व् 45% ड्राइवरों के पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं है, यह है स्वघोषित केजरीवाल के राज्य में चल रही जनता के धन की बंदरबाँट.

केजरीवाल ने अपनी करीबी स्वाति मालीवाल को बनाया DCW का अध्यक्ष





ये वे घटनाएं है जो पब्लिक डोमेन में आ चुकी हैं व् कई ऐसी भी होंगी जो अबतक बाहर नहीं आ पाई, अभी सबसे नया मामला केजरीवाल द्वारा प्रधानमन्त्री के प्रति अमर्यादित टिप्पड़ी व् अरुण जेटली पर निराधार आरोप लगाने का है, जो केजरीवाल द्वारा भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे राजेन्द्र कुमार को बचाने का हथकंडा है,  
क्योंकि यदि केजरीवाल के पास जेटली के विरुद्ध कोई भी साक्ष्य है तो कोर्ट में केस क्यों नहीं दायर करते ? 
ये मिडिया के माध्यम से शाब्दिक युद्ध क्यों ?

यदि ध्यान दिया जाए तो आप पाएंगे की केजरीवाल की नीति स्पष्ट हैं, स्वयं पर लगे आरोपों से जनता का ध्यान हटाने के लिए एक छद्म युद्ध आरम्भ कर दो, व् अपने से बड़े किसी भी पद प्रतिष्ठा वाले व्यक्ति पर इतने संगीन व् ढेर सारे झूठे आरोप लगाओ की मिडिया व् जनता का ध्यान उसी ओर केन्द्रित रहे, यह वही सिद्धांत है की यदि एक झूट को हजार बार, हजार जगह बोला जाय, तो लोग उसे सच मान लेते हैं, किन्तु इस प्रकार की निकृष्ट राजनीती न केवल समाज के लिए घातक है अपितु भविष्य की राजनीती के स्तर के लिए भी ठीक नहीं  



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