Sunday, July 20, 2014

लखनऊ मोहनलालगंज अभागन बलात्कार पीडिता का संघर्षपूर्ण जीवन व् कष्टपूर्ण म्रत्यु

लखनऊ के मोहनलालगंज बलात्कार काण्ड पीडिता के साथ हुए भयानक घटनाक्रम अमानवीय व्यवहार व् अतीत में उसके साथ घटित हुई घटनाओं के विषय में जानकर मन भारी हो गया,

युवती का विवाह १९ वर्ष की आयु में हुआ था, युवती की दो संतानें है, आठ वर्षीय पुत्र व् १३ वर्षीय पुत्री, उसके पति की की दोनों किडनियां ख़राब ही चुकी थी, तो लड़की ने अपनी एक किडनी पति को दे दी थी, किन्तु उसके शरीर ने नई किडनी को अस्वीकार कर दिया और अंततः युवती के पति की म्रत्यु हो गयी, युवती के ससुराल वालो ने उससे सभी सम्बन्ध विच्छेद कर दिए थे, और वो पी.जी.आई में लैब असिस्टंट के पद पर कार्य कर अपना व् अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही थी,

हत्या से पूर्व शाम पांच बजे पिजिआइ से वो अपने घर आ गयी थी, शाम को उसके मोबाईल पर किसी का फोन आया, और वो बच्चों से २ घंटों में वापस आने के बात कह कर बाहर निकली, जहाँ से उसका अपहरण कर लिया गया, अपहरणकर्ताओं ने युवती के साथ बलात्कार का प्रयास किया, किन्तु उसने प्रतिरोध किया, हत्यारे युवती को को एक सरकारी पाठशाला ले गए, जहाँ उन्हों उसके साथ मारपीट की किन्तु युवती प्रतिरोध करती रही, किन्तु अपहरणकर्ताओं की संख्या अधिक थी और युवती को तब तक गंभीर चोटें आ चुकी थी, जिसके कारण बलात्कारियों ने युवती के साथ बलात्कार किया, किन्तु उससे भी उन नरपिशाचों का मन नहीं भरा तो चाकुओं से युवती के जननांगों पर कयी बार वार किया, जिससे व् लहूलुहान हो कर तड़पती रही, व् वे नरपिशाच उसे वहीँ छोड़ कर भाग गये, युवती गम्भीर रक्तस्राव व् पीड़ा से जूझ रही थी, पूरे पाठशाला के प्रांगण में फैला रक्त यह बता रहा है, किसी प्रकार युवती घिसटती हुई पाठशाला के हैन्डपम्प तक पहुंची की कुछ जल ग्रहण कर सके, घिसटने के खून के निशान यही इंगित कर रहे हैं, किन्तु व् हैंडपंप भी ख़राब था प्यास, पीड़ा व् रक्तस्राव से झूझती हुई उस युवती ने पाठशाला के चबूतरे पर टेक लगाकर बैठना चाहा किन्तु अधिक रक्त बह जाने से उत्पन्न हुई दुर्बलता के कारण असफल रही व् भूमि पर औंधे पड़े पड़े घिसट घिसटकर युवती ने अपने प्राण त्याग दिए,

उस समय उस युवती की जो मनोदशा रही होगी मैं उसकी कल्पना भी करने से सकुचाउंगा क्योंकि एक ओर उसके प्राण निकल रहे होंगे व् दुसरे ओर क्योंकि व् एक माँ थी जिसके बच्चों के पालन पोषण का दायित्व केवल उसपे ही था, बच्चों की यह चिंता भी उसे खाए जा रही होगी....

इश्वर से यह प्राथना है की उस युवती की आत्मा की सदगति हो, उसके बच्चों का पालन पोषण ढंग से हो, व् जिन नरपिशाचों ने उसके साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार किया उनके प्राण इससे भी अधिक कष्टों को सहते हुए व् इससे भी अधिक पीड़ादायक परिस्थितियों में शरीर छोडें !

ओम शांति !!!!

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