ऐसे ही लोग NDTV तो रNDTV, देश विरोधी,बिकाऊ मिडिया,प्रेस्टीट्यूट्स व् भारत विरोधी नहीं कहते, ये देखिये इस गद्दार चैनल का देश विरोधी प्रेश्या रविश कुमार, लोगों से चीनी माल अवश्य खरीदने की अपील कर रहा है, जिससे की हम चीन का समान खरीदें और चीन हमारे ही पैसों को हमारे देश के विरुद्ध सैन्य तैयारियों में खर्च करे या हमारे दुश्मन देश पाकिस्तान को देकर भारतियों पर आतंकवादी हमले करवाये, और भारत के सैनिक और नागरिक मरवाये। यानि ये देश का जयचन्द एक षड्यंत्र के अंतर्गत लोगों को बरगला कर उनका उनका धन देश के शत्रुओं के हाथ में दिलवाकर देश के विरुद्ध खड़े शत्रुओं को मजबूत करवाने का प्रयास कर रहा है।
इसका एक और आर्थिक पहलू ये भी है की लोग देश में निर्मित वस्तुएं न खरीदें और बेचारा देश का कारीगर, व्यापारी और दूकानदार बर्बाद हो, जिससे देश आर्थिक रूप से कमजोर हो जाये और देश के शत्रु सशक्त हो जाएँ,
इस देश का दुर्भाग्य यही है की जिस मिडिया का काम केवल आपको समाचारों से अवगत कराना है उसका एक बड़ा वर्ग व् पत्रकार सुनियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत आप पर शत्रुओं का प्रोपगैंडा थोप रहे हैं, और देश के ही लोगों को देश के विरुद्ध खड़ा करवाकर देश के हितों पर आघात कर रहे हैं।
यही वो मिडिया हॉउस है जो सियाचिन पाकिस्तान को दिलवाने के पक्ष में न जाने कितनी चर्चाएं करवा चूका है, और अजय शुक्ला जैसे कांग्रेसी को रक्षा विशेषज्ञ बनाकर प्रस्तुत करता है और उसके द्वारा कभी बांग्लादेश समझौते पर बिना तर्क अथवा तथ्य के उँगलियाँ उठवाता है, तो कभी रफाल सौदे पर, कई बार तो भारतीय सेना की क्षमता पर भी प्रश्न उठवा चूका है,
उदाहरण के लिए उरी आतंकी हमले पर इसी अजय शुक्ला व् NDTV का कहना था की सेना के पास कोई भी सैन्य विकल्प नहीं है और यदि कुछ भी LOC को पार कर किया गया तो परमाणु हमला होगा, अब यथार्थ ये है की सेना ने LOC भी पार कर दी कार्यवाही भी कर ली और उरी का बदला भी ले लिया, और कोई परमाणु युद्ध नहीं हुआ, इसका अर्थ ये है की NDTV जनता को गुमराह कर उन्हें शत्रुओं का प्रोपगैंडा परोसकर उन्हें भ्रमित कर रहा है, और राष्ट्रहित के पथ से हटाकर लोगों को अपने ही देश के हितों के विरूद्ध खड़ा कर रहा है, जो की देशद्रोह व् गद्दारी की श्रेणी में आता है,
लोग अभी तक NDTV द्वारा मोदी और राइट विंग के विरुद्ध चलाये गए जहरीले और झूठे कैम्पेन को भूले नही हैं, न ही बरखा दत्त द्वारा कारगिल में कैमरे की फलैश चमकाकर, सेना को जवानों की स्थिति उजागर कर उनको पाकिस्तानियों द्वारा मरवाने को, न ही 26/11 के समय होटल के अंदर फंसे लोगों के परिजनों से लाइव टीवी पर मोबाईल द्वारा उनकी लोकेशन पूछवाकर उन्हें आतंकियों द्वारा मरवाने के षड्यंत्र को, न ही पठानकोट हमले में लाइव टीवी पर ये प्रसारित करने को की सेना का तेल डिपो व् शस्त्रागार किस ओर है, जिससे की पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका उन्हें बता सकें की किस प्रकार वे और अधिक घातक, भीषण और सटीक कार्यवाही कर सेना और जवानों को अधिकाधिक हानि पहुंचा सकते हैं,
अब समय आ गया है की सरकार इन विषयों का संज्ञान ले और इस प्रकार के मिडिया हॉउस व् पत्रकारों के रूप में छिपे देश के शत्रुओं पर उचित कर्यवाही करे।
इसका एक और आर्थिक पहलू ये भी है की लोग देश में निर्मित वस्तुएं न खरीदें और बेचारा देश का कारीगर, व्यापारी और दूकानदार बर्बाद हो, जिससे देश आर्थिक रूप से कमजोर हो जाये और देश के शत्रु सशक्त हो जाएँ,
इस देश का दुर्भाग्य यही है की जिस मिडिया का काम केवल आपको समाचारों से अवगत कराना है उसका एक बड़ा वर्ग व् पत्रकार सुनियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत आप पर शत्रुओं का प्रोपगैंडा थोप रहे हैं, और देश के ही लोगों को देश के विरुद्ध खड़ा करवाकर देश के हितों पर आघात कर रहे हैं।
यही वो मिडिया हॉउस है जो सियाचिन पाकिस्तान को दिलवाने के पक्ष में न जाने कितनी चर्चाएं करवा चूका है, और अजय शुक्ला जैसे कांग्रेसी को रक्षा विशेषज्ञ बनाकर प्रस्तुत करता है और उसके द्वारा कभी बांग्लादेश समझौते पर बिना तर्क अथवा तथ्य के उँगलियाँ उठवाता है, तो कभी रफाल सौदे पर, कई बार तो भारतीय सेना की क्षमता पर भी प्रश्न उठवा चूका है,
उदाहरण के लिए उरी आतंकी हमले पर इसी अजय शुक्ला व् NDTV का कहना था की सेना के पास कोई भी सैन्य विकल्प नहीं है और यदि कुछ भी LOC को पार कर किया गया तो परमाणु हमला होगा, अब यथार्थ ये है की सेना ने LOC भी पार कर दी कार्यवाही भी कर ली और उरी का बदला भी ले लिया, और कोई परमाणु युद्ध नहीं हुआ, इसका अर्थ ये है की NDTV जनता को गुमराह कर उन्हें शत्रुओं का प्रोपगैंडा परोसकर उन्हें भ्रमित कर रहा है, और राष्ट्रहित के पथ से हटाकर लोगों को अपने ही देश के हितों के विरूद्ध खड़ा कर रहा है, जो की देशद्रोह व् गद्दारी की श्रेणी में आता है,
लोग अभी तक NDTV द्वारा मोदी और राइट विंग के विरुद्ध चलाये गए जहरीले और झूठे कैम्पेन को भूले नही हैं, न ही बरखा दत्त द्वारा कारगिल में कैमरे की फलैश चमकाकर, सेना को जवानों की स्थिति उजागर कर उनको पाकिस्तानियों द्वारा मरवाने को, न ही 26/11 के समय होटल के अंदर फंसे लोगों के परिजनों से लाइव टीवी पर मोबाईल द्वारा उनकी लोकेशन पूछवाकर उन्हें आतंकियों द्वारा मरवाने के षड्यंत्र को, न ही पठानकोट हमले में लाइव टीवी पर ये प्रसारित करने को की सेना का तेल डिपो व् शस्त्रागार किस ओर है, जिससे की पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के आका उन्हें बता सकें की किस प्रकार वे और अधिक घातक, भीषण और सटीक कार्यवाही कर सेना और जवानों को अधिकाधिक हानि पहुंचा सकते हैं,
अब समय आ गया है की सरकार इन विषयों का संज्ञान ले और इस प्रकार के मिडिया हॉउस व् पत्रकारों के रूप में छिपे देश के शत्रुओं पर उचित कर्यवाही करे।