Saturday, October 10, 2015

ISIS अमेरिका, रूस व् तेल

हममे से बहोत से लोग सीरिया में ISIS पर चल रहे रूसी हमलों के विषय में पूर्ण तथ्यों से अनभिज्ञ हैं, तो चलिए आज इसी विषय को समझने का प्रयास करते हैं,

सर्वप्रथम ISIS को समझते है, सद्दाम हुसैन के बाद ईराक में परिस्थितियां
को सम्भालने के लिए अमेरिका ने कुछ बेरोजगार कट्टरपंथी लड़ाकों को हथियार व् धन उपलब्ध कराया, धन व् शक्ति के नाम पर और लोग उनसे जुड़ते गए अब संगठन बढ़ गया व् धन की आवश्यकता भी बढ़ चुकी थी, 
शक्ति व् आधिपत्य की भूख भी बढ़ती जा रही थी अतः नए स्थानों की ओर ध्यान दिया गया व्  लोगों पर अत्याचार कर अपना भय व्याप्त किया गया, महिलाओं व् नशीली दवाओ की  तस्करी आरम्भ की गयी, अमेरिका जो बारीकी से  परिस्थितियां देख रहा था उसने इन लड़ाकों को तेल के कुओं पर कब्जा करने का सुझाव दे डाला जिससे की उसे अब इन लड़ाकों को कम धन देना पड़े, 
जब कुछ तेल के कुओं पर कब्जा हो गया तो इन लोगों ने अंतरराष्ट्रीय दामों से कम पर अमेरिका व् उसके सहयोगियों को तेल बेचना आरम्भ किया, अब इन लड़ाकों की महत्वकांक्षाएं बढ़ चुकी थी और ये अपने लिए एक देश का निर्माण करना चाहते थे जहाँ इनकी सत्ता हो और जो इस्लामिक कानून शरीयत के अनुसार चले,

अतः अब इन लड़ाकों ने कमजोर बशर अल असद के शासन वाले सीरिया की ओर रुख किया जिसके पास बड़े तेल भण्डार थे वही तेल जो सीरिया की आय का प्रमुख स्रोत था,
अब इन लड़ाकों ने सीरिया पर कब्जा करने का व् एक इस्लामिक स्टेट बनाने का स्वप्न देखना आरम्भ किया जिसका अर्थ था अधिक बड़ा राज्य व् कहीं अधिक धन, धीरे-धीरे इन लड़ाकों ने इराक व् सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया व् नशीली दवाओं, महिलाओं की तस्करी व् अमेरिका और उसके सहयोगियों को तेल बेचकर अपने को आर्थिक रूप से सुदृढ़ कर लिया, अमेरिका व् ISIS के इस छुपे गठबंधन से अमेरिका,उसके सहयोगियो व् ISIS, तीनों को परस्पर लाभ मिल रहा था, एक पक्ष को धन व् शक्ति व् दुसरे को सस्ता तेल,
किन्तु इसका परिणाम ये हुआ की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की मांग कम हो गयी, क्योंकि बहोत से देशों को अब सस्ता तेल मिल रहा था तो उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय बाजार से तेल खरीदना बहोत कम कर दिया, जब तेल की मांग गिरी तो अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल के दाम भी गिर गए।

अब सब कुछ ISIS,अमेरिका व् उसके सहयोगियों के हित में चल रहा था,किंतु ISIS के इस्लामिक कट्टरपंथ व् अत्याचारों ने मिडिया में सुर्खियां बटोरनी आरम्भ कर दी थी, जिससे विश्व की जनता में ISIS की छवि बिगड़ती गयी अब अमेरिका को दिखाने के लिए ही सही परन्तु इनके विरोध में उतारना पड़ा, किन्तु सोने का अंडा व् सस्ता तेल देने वाले को कौन मारता है.....अतः यह विरोध मात्र एक औपचारिकता बनकर रह गया, और सबकुछ पुनः पूर्व के जैसे चलने लगा, नित नई विभीत्स, हिंसक व् पैशाचिक कृत्यों के समाचार सुर्ख़ियों में आते रहे, विश्व को अपनी गम्भीरता प्रदर्शित करने के लिए कभी कभी एक दो ड्रोन भेजकर एक दो मिसाइल लौंच कर वैश्विक महाशक्तियों ने अपने दायित्व की इतिश्री कर ली ।

अब रूस की बात करते हैं, यदि आप समझ रहे हैं की ISIS पर रूस के इन आक्रमण का उद्देश्य मात्र मानवता की रक्षा व् सेवा है तो आप गलत है, रूस भले ही ISIS को समाप्त कर मानवता का भला ही कर रहा हो, किन्तु वो अपना भी हित साध रहा है,
आप पूछेंगे कैसे ? तो आपको बता दें की रूस की आय का मुख्य स्रोत हथियार व् तेल बेचकर आने वाली आय है, किन्तु आजकल रूसी हथियारों की मांग कम होना, अमेरिका द्वारा कई प्रकार के आर्थिक प्रतिबंध लगाने व् तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम होने से व् रूसी मुद्रा के 44% टूटने के फलस्वरूप रूस एक आर्थिक कठिनाई से जूझ रहा हैं व् तब तक जूझता रहेगा जब तक अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में तेल के दाम बढ़ नहीं जाते, 
और उसके लिए ISIS द्वारा चलाये जा रहे तेल के इस ग्रे मार्किट का बन्द होना रूस के लिए अति आवश्यक है,

इसीलिए जब बशर अल असद ने वलादमीर पुतिन को दोनों देशों के पुराने पारस्परिक सम्बंधों का हवाला देते हुए अपना राज्य व् शासन बचाने के लिए सैन्य कार्यवाही का आग्रह किया तो पुतिन तुरन्त तैयार हो गए
क्योंकि एक ओर रूस चेचन मुस्लिम आतंकी जो ISIS के लिए लड़ रहे थे उनसे निपट सकता था, वहीँ तेल का ग्रे मार्केट नष्ट कर अतन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में तेल की कीमत पुनः वहीं लाकर अपने को आर्थिक संकट से उबार सकता था, अमेरिका को दोहरा सबक सिखा सकता था, क्योंकि अमेरिका सुपर पावर है और उसके होते हुए विश्व के सामने ISIS का सफाया कर रूस का नायक के रूप में उभारना, रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने वाले अमेरिका व् उसके सहयोगियों को मिल रहे सस्ते तेल का मार्ग बन्द कर अपना प्रतिशोध भी ले लेना इससे अच्छा अवसर रूस को नहीं मिल सकता था,

अतः रूस ने आक्रमण के पहले दिन ही अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे की वो गम्भीरता से युद्ध लड़ने उतरा है Su 27 व् Su 34 ने ताबड़तोड़ हमले करने आरम्भ किये, आक्रमण की तीक्ष्णता का का अनुमान इसी से लगा लीजिये की 24 घण्टों में लड़ाकू विमानों ने 67 सॉर्टिस को अंजाम दिया व् कैस्पियन सी से भी क्रूज़ मिसाइलों द्वारा ISIS पर  आक्रमण कर उसकी कमर तोड़ दी व् आतंकी लड़ाके भागने लगे, अमेरिका ने अंतर्राष्ट्रीय मिडिया द्वारा रूस के विरुद्ध प्रोपगैंडा चलाने का प्रयास किया किंतु व् निरर्थक ही रहा, उल्टा अब ईराक ने भी रूस को ISIS से लड़ने के लिए अपने देश में आमंत्रित किया है व् रूस को कार्यवाही करने के लिए एक सैन्य बेस व् हवाई अड्डा देने का निर्णय लिया है, जिससे विश्व पटल पर अमेरिका की छवि को गहरा धक्का लगा है वहीं रूस एक सशक्त जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में उभरा है।

No comments:

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...