कल से कई प्रकांड ज्ञानियों, राष्ट्र के घोर शुभचिंतकों व् बुद्धिजीवियों को डिफेंस FDI पे तिगनी का नाच नाचते देख रहा हूँ, जिसे रक्षा क्षेत्र की थोड़ी समझ भी नहीं है वो भी विशेषज्ञ बनके कोसने में लगा हुआ है, इनमें अधिकांश या तो वामपंथी हैं या अपने को कट्टर व् घोर राष्ट्रवादी कहने वाले, उनके तर्क भी गजब के है, की जब रिटेल में FDI का विरोध किया था तो रक्षा क्षेत्र में FDI क्यों ?
सर्वप्रथम इन ज्ञानियों को एक ब्रह्म ज्ञान देना चाहता हूँ की राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है, राष्ट्र सुरक्षित है तभी ये लोग अपने को बुद्धिजीवी प्रमाणित करने हेतु इस प्रकार के तर्क वितर्क कर सकते हैं, यदि इजराइल ने विदेशी कम्पनियों व् तकनीक का सहारा नहीं लिया होता तो आज समाप्त हो चूका होता, न आज उसके पास रक्षा उद्योग ही होता, किन्तु लगता है की ज्ञानियों की आँखों पर एक छद्म राष्ट्रवाद व् स्वदेशी का पर्दा पड़ चूका है जिसकी वजह से ये राष्ट्रिय सुरक्षा की अनदेखी भी करने को तत्पर हैं,
और भारत में इन उपकरणों की निर्माता घरेलू कम्पनियों का कौन सा फलता फूलता बाजार है जो की ये विदेशी कम्पनियां आकर कब्जिया लेंगी ?
इन अति आवश्यक रक्षा उपकरणों की प्राप्ति में वर्षों का रिसर्च व् डेवलपमेंट लगता है तब जाकर ये उन्नत तकनीक प्राप्त की जाती है, जो ये विदेशी कम्पनियां अपने साथ लेकर आने को तैयार हैं, उन्हें मार्किट चाहिए हमें उन्नत तकनीक जिससे हम राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें, क्या अगले 20-30 वर्ष हम इन तकनीकों के रिसर्च व् डेवलपमेंट में लगा दें ये सोचकर की तब तक चीन व् पाकिस्तान विदेशों से उन्नत रक्षा तकनीक प्राप्त नहीं करेंगे न विकसित करेंगे व् न ही इन तकनीकों द्वारा भारत पर आक्रमण करेंगे ?
या फिर हम इन कम्पनियों के द्वारा लायी जा रही तकनीक को ग्रहण कर अपना घरेलु रक्षा उपकरणों का बजार विकसित करें व् अपने को आत्मनिर्भर करने में तेजी से आगे बढें ? जिस्से की हम वैश्विक तकनीक के समतुल्य आकर रिसर्च व् डेवलपमेंट में उनके साथ आगे बढ सकें ?
कुछ परम मूर्खो आलोचकों को अनुमान ही नहीं है की अपने को कट्टर राष्ट्रभक्त, स्वदेशी समर्थक सत्यापित करने की होड़ में वे वामपंथियों की गोद में जा बैठे हैं,
मैं चाहता हूँ की ये वामपंथी व् घोर राष्ट्रवादी ज्ञानी मेरा ज्ञानवर्धन करें की रिटेल FDI में कौन सी उच्च व् उन्नत तकनीक लगती है ?
हमारे पास एक अच्छा खासा विकसित रिटेल बाजार है जो की विदेशी किराना स्टोर्स के आने पर अनावश्यक दुष्परिणामों का शिकार बनेगा व् विदेशी किराना स्टोर घरेलू किराना स्टोर्स का ही मार्केट शेयर खायेंगी जिससे हानी हमारे देश के उन करोड़ों किराना स्टोर मालिकों व् उनमें काम करने वालों को होगी,
किन्तु रक्षा क्षेत्र में तो हमें अभी अपना मार्केट विकसित करना है, जिसके लिए इन विदेशी कम्पनियों द्वारा लायी जा रही उन्नत तकनीक की आवश्यकता है जिससे की हम उनकी तकनीक के द्वारा अपनी रक्षा आवश्यकताओं को पूर्ण करने में सक्षम हो सकें व् अपने रक्षा उपकरण स्वयं बना सकें तथा भविष्य में रक्षा उपकरणों को निर्यात कर अपने रक्षा उद्योग को रिसर्च व् डेवलपमेंट के लिए आत्मनिर्भर बना सकें .
No comments:
Post a Comment