Thursday, April 26, 2018

क्या धर्म का मार्ग केवल बाबाओं धर्मगुरुओं के मार्गदर्शन से मिल सकता है ?

आसाराम, राधे माँ, भीमानंद जैसों को बनाने में सबसे बड़ा हाथ उन अज्ञानियों का है जो अध्यात्म के नाम पर ऐसे लोगों को पोषित करते हैं, यदि अध्यात्म के प्रति रुचि जागृत हुई है तो अपने धर्म ग्रन्थ उठाकर स्वयं पढ़ना आरंभ करो,किसी और का इंटरप्रेटेशन क्यों, स्वयं अपना इंटरप्रेटेशन करो, समझ तुम्हारे अंदर भी है, मनुष्य वो भी हैं, तुम भी हो,

किंतु मेहनत कौन करे, पकी पकाई चाहिये, बब्बा जी को धन उपलब्ध करवाएंगे उनके मुख से निकली कहानियों-प्रसंगों-बातों को ही अध्यात्म समझ लेंगे,
सत्य की खोज स्वयं करनी होती है, ईश्वर व शांति व्यक्ति के अंदर ही होती हैं, गीता जैसा सरल व सुलभ ग्रन्थ उपलब्ध है किंतु उसे नही पढ़ना, बब्बा जी जो पट्टी पढ़ाएंगे वो ही पढेंगे और आंख बंद कर बिना अपना विवेक लगाए उसी पथ पर चलेंगे जो बब्बा जी बताएंगे, और बब्बा जी की विलासिता पूर्ण करने के साधन बन जाएंगे और उनके द्वारा शोषित होंगे,

कभी “अहं ब्रह्मास्मि” का अर्थ समझने का प्रयास किया ?
धर्म की असंख्य व्याख्याएं हैं किंतु यदि भगवान कृष्ण व राम के जीवन का अध्यन करें तो पाएंगे कि निस्वार्थ व निष्काम भाव से अपने कर्तव्यों व दायित्वों का निर्वहन करना ही धर्म है।
तो भैया इन बब्बाओं के बताए मार्ग के बदले जो उदाहरण भगवान राम व कृष्ण प्रस्तुत कर गए हैं उन्हीं का अनुसरण कर लो, अपना सनातन धर्म तो वैसे ही ओपन सोर्स एन्ड्रॉयड के समान है जो सबको अपने हिसाब से कस्टमाइजेशन और ट्वीक्स की अनुमति दे देता है,
अतः अध्यात्म की यात्रा स्वयं ज्ञान एकत्र करने से करो सत्य व शांति की प्राप्ति हेतु परिश्रम करों अपनी स्वयं की समझ विकसित करो सनातन धर्म मे कोई बाध्यता नहीं है इतना विशाल है कि अपना मोक्ष का मार्ग स्वयं चुनने की स्वतंत्रता देता है,
बिना संसार को त्यागे सन्यास लिए समाज की सेवा जैसे आप विद्या दान कर, लोगों को रोजगार देकर, चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध करवाकर, पशुओं की सेवा कर, धर्म का प्रचार प्रसार उसकी रक्षा हेतु काम कर भी आप मोक्ष पा सकते हैं, जाप, पाठ,पूजा, भजन कीर्तन ही एकमात्र मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग नही है,
सनातन धर्म ये नही कहता कि ईश्वर से डरो और उसके आगे नतमस्तक हो जाओ अन्यथा तुम्हे “दोज़ख” या “हैल” में भेज दिया जाएगा, सनातन धर्म कर्म आधारित है, जैसे कर्म करोगे वैसे ही फल मिलेंगे,
एक सैनिक जो राष्ट्र की रक्षा कर रहा है वो देश के नागरिकों के प्राणों की भी रक्षा में योगदान दे रहा है, ये उसका त्याग व अच्छा कर्म है अतः वो बिना जाप,पाठ, पूजा,भजन,कीर्तन करते हुए भी मोक्ष का अधिकारी है,
एक शिक्षक जो बच्चों को शिक्षित कर उनके भविष्य का निर्माण कर रहा है वो भी अच्छा कर्म कर रहा है मोक्ष का अधिकारी है,
निष्ठा से व्यवसाय करने वाला उद्योगपति जो एक साथ कई लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाकर उनको उनकी आजीविका चलाने में सहयोग कर रहा है वो उसका अच्छा कर्म है वो भी मोक्ष का अधिकारी है,
एक ईमानदार चिकित्सक लोगों को स्वस्थ्य लाभ करवाकर अच्छा कर्म कर रहा है वो भी मोक्ष का अधिकारी है,
ईमानदारी से पशुपालन कर उनकी सेवा कर अपनी आजीविका चलाने वाला व्यक्ति भी अच्छा कर्म कर रहा है, अतः मोक्ष का अधिकारी है,
एक राजनेता जो ईमानदारी से राष्ट्र के निर्माण व उत्थान में योगदान दे रहा है और जनता की सेवा कर रहा है वो उसका अच्छा कर्म है अतः वो भी मोक्ष का आधिकारी है,
और वो सामान्य मनुष्य जो ईमानदारी से कार्य कर अपने परिवार का भरण पोषण कर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहा है वो भी अच्छा कर्म कर रहा है अतः वो भी मोक्ष का अधिकारी है।

ये गीता ज्ञान का मेरा अपना इंटरप्रेटेशन है,

आप अभी अपने हिसाब से धर्म की व्यख्या कर उसका पालन कर सकते हैं, आपको किसी बब्बा जी के विलासिता पूर्ण करने के साधन बनने की आवश्यकता नहीं है।

:रोहन शर्मा

No comments:

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...