Saturday, May 12, 2018

कभी विचार किया कि मुस्लिम व् मुस्लिम संगठन क्यों कांग्रेस व् अन्य "सेक्युलर" पार्टियों का समर्थन करते रहे है ?

मुस्लिमों कांग्रेस को ही वोट देना": कर्नाटक में बकायदा मस्जिदों से ये फतवे जारी किये गए हैं
 लिंगायत-वीरशैव्य के वोट बंटवाकर व् मुस्लिम-ईसाई वोट बटोरने की नीति स्पष्ट है,

किन्तु क्या आपने सोचा की मुस्लिम व् मुस्लिम संगठन क्यों कांग्रेस का समर्थन करते रहे है ?

आप माने या न मानें मुस्लिम राजनितिक रूप से हिन्दू से कहीं अधिक परिपक्व हैं और उनका उद्देश्य एकदम स्पष्ट है, उन्हें काफिरों की इस भूमि भारत पर अधिपत्य स्थापित करना है और और जो भी राजनितिक दल इस काम में उनकी सहायता करेगा वो उसी को वोट देंगे,
उन्हें न लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से मतलब, न इंफ्लेशन से, उन्हें न तो HDI (ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स) से मतलब है, न WPI(होलसेल प्राइस इंडेक्स)-CPI(कमोडिटी प्राइस इंडेक्स) से, न IIP(इंडेक्स ऑफ़ इंडट्रीयल प्रोडक्शन) से,
न उन्हें फिस्कल डेफिसिट से मतलब, न करेंट अकाउंट डेफिसिट से, न विदेशी मुद्रा भंडार से, न देश के विद्युतीकरण से, न फाइनेंशियल इंक्लूजन से, न जॉब ग्रोथ से, न GDP(सकल घरेलू उत्पादन) से, न रक्षा क्षेत्र के नए सौदों से, न सेना को मिल रहे नए हथियारों, उपकरणों, लड़ाकू व् लाजिस्टिक विमानों, AWACS( एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एन्ड कंट्रोल सिस्टम) से, न देश की रक्षार्थ विकसित किये जा रहे BMD(बैलिस्टिक मिसाइल डिफेन्स) सिस्टम से, व् न न्यूक्लियर क्षमता को धार देने हेतु विकसित किये जा रहे इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल कि MIRV(मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री वेहिकल) क्षमता से,
न वैश्विक कूटनीति में भारत द्वारा प्राप्त सफलताओं से, न भारत के MTCR, Australian group व् Wassenar agreement जैसे समूहों का सदस्य बनने से मतलब


उन्हें यदि मतलब है तो चार बीवियां रखने के आजादी, तीन तलाक, अधिकाधिक मदरसों व् मस्जिदों, कब्रिस्तानों की जमीन से, अधिकाधिक काफिर लड़कियों का धर्मंपरिवर्तन करवाकर इस्लाम में लाने से, उन्हें मतलब है तो अवैध बंग्लादेशी व् रोहिंग्या घुसपैठियों को भारत में बसाने से जिससे की अधिकाधिक मुसलमान पैदा हों इस्लामिक जनसंख्या बढ़े और काफिरों की इस भूमि पर शीघ्र इस्लाम का कब्जा हो सके, उन्होंने मजहब के नाम पर भारत के तीन टुकड़े करवा दिए और अब जो एक हिस्सा हिंदुओं को मिला है उसे हथियाने में लगे हैं,

और सेक्युलरिज़्म का कम्बल ओढ़कर सोता हिंदू अभी तक समझ ही नहीं पाया है कि उसका अस्तित्व व् भविष्य संकट में है, उसे तो हर वो व्यक्ति जो ये यथार्थ समझाने का प्रयास करता है वो कुत्सित-छोटी दकियानूसी सोच वाला सांप्रदायिक व् संघी लगता है जो देश के सौहाद्र को बिगाड़ना चाहता है,

समस्या ये है कि आज का लिखा पढ़ा उच्च शिक्षित हिंदू समाज अपनी असुरक्षा से बेखबर होकर अपने संकीर्ण उद्देश्यों को पाने में लगा है, एक अच्छी नौकरी, एक अच्छी पत्नी एक महंगे स्कूल में पढ़ती सन्तान, एक अच्छा घर एक महंगी कार, ठीक वही स्थति कश्मीर, असम, कैराना, कंदला, शामली व् बंगाल के हिंदुओं की थी, उनकी परिणीति क्या हुई किसी से छिपा नहीं है, मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक हुई तो उन्होंने हिंदुओं पर हमला किया पुरुषों को मार दिया गया महिलाओं संग बलात्कार कर इस्लाम कुबूल करवा दिया गया और रख लिया, उनके घरों मकानों सम्पत्ति पर कब्जा कर लिया गया, बचे खुचे जान बचाकर घर, सम्पत्ति रोजगार छोड़कर भाग गए और आज रिफ्यूजी बने बैठे हैं

हिन्दू कभी न तो आक्रामक रहा न संगठित, अतः वो अपनी रक्षा हेतु सरकारों व् प्रशासन पर निर्भर है, और सरकारें यदि मुस्लिमों के वोट बैंक के आधार पर बनी हो तो वो किसी भी साम्प्रदायिक तनाव कि स्थिति में पहले ये देखती हैं कि कहीं कार्यवाही में अपने वोट बैंक को तो समस्या नहीं हो जायेगी, और यदि ऐसा होता है तो वो उस साम्प्रदायिक तनाव में कार्यवाही ही नहीं करती की सब अपने आप सलट जायेगा,
 

उदाहरण कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस सरकार, यूपी की समाजवादी सरकार, असम की कांग्रेस सरकार, बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार, इन सभी जगह मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं का नरसंहार हुआ, अब क्योंकि ये अब सरकारें मुस्लिमों और सेक्युलर हिंदुओं के वोट से बनीं थी अतः इन्होंने किसी भी साम्प्रदायिक तनाव में पीड़ित हिन्दू पक्ष की रक्षा व् उन्हें न्याय दिलवाने हेतु कुछ नहीं किया, और हजारों हिन्दू मारे गए, उनके घरों, सम्पत्तियों महिलाओं पर कब्जा कर लिया गया।

मुर्ख सेक्युलर राजनेता व् सेक्युलर राजनितिक दल अपने अभी के लाभ हेतु मुस्लिम तुष्टिकरण कर मुसलमानों के उद्देश्य प्राप्ति में सहयोग करते हैं, किन्तु उन्हें समझ ही नहीं की एक बार जब मुस्लिम जनसंख्या हिंदुओं से अधिक हो गयी तब ये सेक्युलरिज़्म की बात करने वाला कोई नहीं होगा,
और तब, न तो हिन्दू जनसंख्या व् उनकी सम्पत्ति सुरक्षित रहेगी न इन सेक्युलर राजनेताओं की, और उस स्थिति में इन नेताओं के राजनितिक धंधे पर भी पूर्ण विराम लग जायेगा, बंग्लादेश व् पाकिस्तान का उदाहरण उठाकर देख लीजिये, हिंदुओं कि क्या स्थिति है, 56 इस्लामिक देश हैं, हिंदुओं का केवल एक देश है, विपरीत परिस्थिति आयी तो कहाँ जाओगे ?


हिन्दू अपनी लड़ाई स्वयं लड़ने में अभी सक्षम नहीं है तो कम से कम दिमाग का प्रयोग कर सरकारें तो ऐसी चुने जो समय आने पर प्रशासन, पुलिस व् सुरक्षाबल लगाकर उनकी जान माल कि रक्षा कर सके।
:Rohan Sharma

Friday, May 11, 2018

सीरिया में इज़रायल - ईरान का युद्ध व् उसके रणनीतिक परिणाम

ईरान को अनुमान ही नही है उसने अपनी मूर्खता में इज़रायल के गोलन हाइट्स पर हमला कर क्या कर दिया है, और किस झमेले में अपनी जान फंसाई है, इस हमले के कारण अब तक #ईरान ने #सीरिया में जो मिलिट्री बेस बनाकर अपने पांव जमाये थे और इलाके में बढ़त बना के रखी थी वो सब समाप्त होने को आ गया है, फायदा #अमेरिका#NATO को हुआ है और नुकसान सीरिया, ईरान व #रूस को।

अब जरा स्थिति को गहराई से और वहां चल रहे खेल को समझते हैं ,

ईरान सीरिया में 14 मिलिट्री बेस बनाकर ऐसे ही नही बैठा है उसकी महत्वकांक्षा है कि ईरान के नेतृत्व में मिडिल ईस्ट में एक #शिया एम्पायर खड़ा हो जो कि #सुन्नी ब्लॉक के समकक्ष हो,
जिसमे #लेबनन,सीरिया #इराक और ईरान सम्मिलित हों, और मिडिल ईस्ट में शक्ती का संतुलन बनाने हेतु वो ठीक भी जान पड़ता है, सुन्नी ब्लॉक को अमेरिका व NATO का समर्थन प्राप्त है, जिसमे #सऊदी, #टर्की, #UAE हैं, और इसलिए शिया ब्लॉक को समर्थन देने रूस खड़ा हुआ है,


अमेरिका ने जब सीरिया युद्ध में एंट्री ली तो कहीं ऐसा न हो कि सीरिया से असद कि सत्ता निपटा कर अमेरिका पूरे इलाके में सुन्नी ब्लॉक को एकक्षत्र राज दे दे इसीलिए रूस भी सीरिया में उतरा, और ईरान अपना स्वार्थ सिद्ध करने हेतु भी सीरिया में घुसा,

ईरान अब तक सफलता पूर्वक आगे भी बढ़ रहा था और सुन्नी विद्रोहियों को निपटा कर सीरिया में अच्छी खासी पैठ भी बना ली थी, और ईरान को आवश्यकता थी कि अब तक जो बनाया है उसे संजोने की, 

किन्तु ईरान को इज़रायल के कंट्रोल वाले गोलन हाइट्स पर आधिपत्य स्थापित करने का लालच आ गया और ईरान ये समझ बैठा था कि रूस की सीरिया में उपस्थिति के कारण #इज़रायल उसके द्वारा किये गए किसी भी हमले का जवाब पूरी शक्ति व आक्रामकता संग नही देगा, बहुत हुआ तो ईरान द्वारा फायर की गई मिसाइलों के बदले इज़रायल से भी कुछ मिसाइल ही फायर होंगी, फिर जब निरन्तर ये स्थिति बनी रहेगी और इसे सामान्य स्थिति के रूप में स्वीकार कर लिया जाएगा तो इज़रायल भी बार बार कि इस लड़ाई से बचने हेतु पीछे हटने की सोचेगा और फिर ईरान गोलन हाइट्स पर अपना आधिपत्य स्थापित कर पायेगा,

किन्तु ईरान का आकलन पूर्णतः गलत था, ईरान ने इज़रायल पर 22 मिसाइल फायर की जिसे इज़रायल के IRON Dome डिफेंस ने विफल किया और अधिकांश मिसाइल हवा में ही मार गिरायीं, इसके बाद इज़रायल ने ईरान की पोज़िशन पर शेल्लिंग शुरू की और अगले 20 मिनट के अंदर 10 मिसाइल फायर कीं, ईरान ये समझ बैठा था कि बस ये इतनी सी ही इज़रायल की प्रतिक्रिया थी,
किंतु वास्तव में इज़रायल ने वो 20 मिनट का समय खरीदा था अपने F-15 व F-16 लड़ाकू विमानों को ईरानी ठिकानों को नष्ट करने हेतु तैयार करने के लिए, और फिर इज़रायल के मिलिट्री बेस से 28 लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी और जो प्रतिक्रिया दी उसका अनुमान किसी को नही था ईरान के 50 स्ट्रेटेजिक असेट्स नष्ट किये गए, राडार स्टेशन, इंटेलिजेंस सेंटर, एम्युनिशन डिपो, मीडिया व कम्युनिकेशन टावर्स, मिसाइल लॉन्चर्स, लॉजिस्टिक हेडक्वार्टर, दमस्कस के मिलिट्री कम्पाउंड दक्षिण,उत्तर व पूर्व और इंटरनेशनल एयरपोर्ट और रनवे को निशाना बनाया गोलन हाइट्स के पास स्थित ईरान की निगरानी पोस्ट व मिलिट्री पोस्ट भी हिट की गई, लगभग पूरा ईरान का सीरिया स्थित मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर ध्वस्त किया गया,

ईरान के टार्गेट्स पर हमले के समय इज़रायल ने स्पष्ट शब्दों में सीरिया को हस्तक्षेप न करने को कहा था परन्तु बशर-अल-असद के सीरियाई एयर डिफेंस ने इज़रायली जेट्स पर SAM सर्फेस टू एयर मिसाइल्स फायर की जिसके बाद इज़रायली जेट्स ने सीरियन एयर डिफेंस बैटरीज को निशाना बनाया और सीरियन एयर डिफन्स को गम्भीर क्षति पहुंचाई

प्रशंसनीय बात ये है कि इज़रायल की इंटेलीजेंस को सीरिया स्थित ईरानी एसेट्स उनकी क्षमता की एकदम एक्यूरेट जानकारी थी और उसी के आधार पर एकदम सटीक हमले किये गए, और बिना सिविलयन आबादी को हिट किये अपना उद्देश्य प्राप्त किया
ध्यान देने योग्य बात ये रही कि रूस की सेना उसका अपना एयर डिफेंस, उसके फाइटर जेट्स भी सीरिया में हैं, न तो रूस ने इज़रायल के जेट्स को निशाना बनाया न ही इज़रायल की ओर से रूस के किसी भी एसेट को निशाना बनाया गया, और रूस ने हस्तक्षेप करने का कोई प्रयास भी नही किया है, न इन हमलों को चैलेंज किया न निंदा की बस तनाव कम करने की अपील की है,

इस समय रूस जो सीरियाई रिजीम के समर्थन में खड़ा है वो भी ईरान की मूर्खता पर निराश होगा कि क्षेत्र में जो बढ़त मिली थी वो सब क्षणिक इस्लामिक जुनून की बलि चढ़ गई,

अमेरिका इस समय मन ही मन इसलिए खुश होगा कि जो काम वो खुद करना चाह रहा था किंतु कर नही पा रहा था, वो खुद ईरान ने इज़रायल से करवा दिया, सबसे रोचक बात ये हैं कि यहूदियों का विरोधी मिडिल ईस्ट का पूरा सुन्नी ब्लॉक इस समय इज़रायल के ईरानी टार्गेट्स पर हमलों को मौन सहमति दे रहा है

और इस समय भारत केवल यही कामना कर सकता है कि ये तनाव और आगे न बढ़े और इतने पर ही रुक जाए।

:Rohan Sharma

ईरान द्वारा इज़रायल के गोलन हाइट्स पर आक्रमण और उसके परिणाम

ईरान ने सीरिया से #इज़राइल के #गोलनहाइट्स आउट पोस्ट्स पर 22 मिसाइल फायर किये,
बदले में इज़राइल के 28 फाइटर जेट्स ईरान के सीरिया स्थित बेसों पर 60 रॉकेट्स फायर कर चुके है,

इज़रायल पर इस तरह से हमले की पहल करना ये #ईरान की घनघोर मूर्खता के सिवाय और कुछ नहीं है, अमेरिका आज ईरान न्यूक्लियर डील से कदम पीछे खींच चुका है, किंतु #ब्रिटेन व् #फ़्रांस उस डील पर ईरान के संग बने हुए थे,
 

किन्तु अब जब ईरान ने इजराइल के गोलन हाइट्स आउटपोस्ट पर हमला कर पहल कर दी है, तो अब वो अग्रेसर साबित हो चुका है, अब ब्रिटेन व् फ़्रांस को भी ईरान न्यूक्लियर डील से कदम पीछे खींचने होंगे, स्वयं की मूर्खता से नुकसान ईरान का हुआ।

अब इज़राइल #सीरिया में स्थित ईरान के सभी 14 बेसेस नष्ट करेगा, पश्चिमी देश व् अधिकांश सुन्नी देश चुप रहेंगे, #रूस यदि बीच में उतरता है तो फिर अमेरिका भी उतरेगा और सीरिया का बचा खुचा सत्यानाश पीटना भी तय मानिए, स्थितियां यदि और बिगड़ीं तो फिर इज़राइल व् #NATO देशों के सामने रूस, ईरान व् सीरिया होंगे आशा करता हूँ की ऐसी स्थिति न आये।

ईरान के लिए समझदारी इसी में है कि अभी ये नुकसान झेल ले व् स्थिति को और न बिगाड़े, अन्यथा इज़रायल ईरान के न्यूक्लियर इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाने से भी पीछे नहीं हटेगा, और यदि ईरान पूर्ण रूप से यानि अपनी जमीन से युद्ध में उतरने का प्रयास भी करता है तो परिणाम ईरान के लिए घातक होंगे।

भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो अब अमेरिका ईरान पर और सेंक्शन लगवा सकता है यानि ईरान से तेल इम्पोर्ट करना तो मुश्किल होगा ही किन्तु ईरान के चाबहार पोर्ट में भारत द्वारा किया भारी भरकम 8 बिलियन डॉलर का निवेश भी संकट में आ सकता है, और भारत-ईरान ट्रेड पर तो विपरीत असर पड़ना तय है, और यदि "फुल ब्लोन वार" की स्थिति बनती है तो हानि भारत को भी होगी, और भारत का महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट नार्थ-साऊथ ट्रेड कॉरिडोर यानि NSTC भी संकट में आ सकता है।
 
 
आशा है कि दोनों पक्ष कुछ बुद्धि का प्रयोग करेंगे और ठंडे दिमाग से विचार कर अगला कदम उठाएंगे।

:Rohan sharma

Friday, May 4, 2018

राहुल गांधी ने फर्जी किसान बन अवैध रूप से खरीदी थी हरयाणा में 6 एकड़ कृषि भूमि

क्या आप जानते हैं कि अपने राहुल बाबा केवल एक नेशनल हेराल्ड वाले मामले में ही नहीं फंसे हैं,
वर्ष 2008 में जब केंद्र में व् हरयाणा में कांग्रेस की सरकारें थी तब अमेठी से सांसद राहुल गांधी चमत्कारिक रूप से एक खेती बाड़ी करने वाले किसान बन गए और अपने जीजा वाड्रा से प्रेरणा लेते हुए 3 मार्च 2008 को हरयाणा के पलवल डिस्ट्रिक्ट के हसनपुर गाँव में अपने जीजा वाड्रा की जमीन के पास सांसद राहुल गांधी जिनका दूर दूर तक खेती किसानी से कोई वास्ता नहीं रहा है ने “किसान’ बनकर 6 एकड़ की कृषि भूमि खरीदी थी 26.47 लाख में, और उसी दिन वाड्रा ने भी उसी गाँव में राहुल गांधी की जमीन के समीप 9 एकड़ की कृषि भूमि 36.9 लाख में खरीदी थी।

आपको जानकारी के लिए बता दूं कि भारत में कृषि भूमि केवल किसान ही खरीद सकते हैं व् यदि अन्य कोई ऐसा करता है तो ये भारतीय कानून व्यवस्था के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है, किन्तु ये नेहरू-गांधी परिवार तो अपने को भारत का मालिक समझता है तो इनके लिए कौन सा कानून भला, खैर प्लान बड़ा सरल था कि कौड़ियों के दाम में कृषि भूमि कब्जिया लो और फिर राज्य में सरकार तो अपनी है ही जिसके द्वारा लैंड यूज़ बदलवाकर उस भूमि को कृषि से कॉमर्शियल लैंड में बदलाव लेंगे जिससे भूमि की कीमत कई गुना बढ़ जाये और फिर उसे बेचकर मोटा माल कमाएंगे और उसे इटली के बैंक में जमा करवा आएंगे,

अब समस्या ये हो गयी की ये बात किसी तरह से मीडिया में आ गयी और उसके बाद हरयाणा में ओम प्रकाश चौटाला ने इसे मुद्दा बना दिया जिससे हुआ ये की वो 6 एकड़ जमीन राहुल बाबा के गले की हड्डी बन गयी, फिर जान छुड़ाने हेतु "किसान" राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी/वाड्रा को भी "किसान" बनवा दिया और वो 6 एकड़ जमीन उसे उपहार में दे दी,

मतलब घूम फिरकर जमीन लुटेरे परिवार के पास ही रही, किन्तु  इस विषय के सार्वजनिक हो जाने से भारत की जनता को अनुमान हो गया कि इस लुटेरे नेहरू-गांधी परिवार का एक एक सदस्य घोटालेबाजी में निपुण व् पारंगत है, और इनकी राजनीती का उद्देश्य ही भारत व् भारत की जनता को लूट-खसोटकर अपनी दौलत की हवस पूरी करना है।

:Rohan Sharma





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