मुस्लिमों कांग्रेस को ही वोट देना": कर्नाटक में बकायदा मस्जिदों से ये फतवे जारी किये गए हैं
लिंगायत-वीरशैव्य के वोट बंटवाकर व् मुस्लिम-ईसाई वोट बटोरने की नीति स्पष्ट है,
किन्तु क्या आपने सोचा की मुस्लिम व् मुस्लिम संगठन क्यों कांग्रेस का समर्थन करते रहे है ?
आप माने या न मानें मुस्लिम राजनितिक रूप से हिन्दू से कहीं अधिक परिपक्व हैं और उनका उद्देश्य एकदम स्पष्ट है, उन्हें काफिरों की इस भूमि भारत पर अधिपत्य स्थापित करना है और और जो भी राजनितिक दल इस काम में उनकी सहायता करेगा वो उसी को वोट देंगे,
उन्हें न लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से मतलब, न इंफ्लेशन से, उन्हें न तो HDI (ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स) से मतलब है, न WPI(होलसेल प्राइस इंडेक्स)-CPI(कमोडिटी प्राइस इंडेक्स) से, न IIP(इंडेक्स ऑफ़ इंडट्रीयल प्रोडक्शन) से,
न उन्हें फिस्कल डेफिसिट से मतलब, न करेंट अकाउंट डेफिसिट से, न विदेशी मुद्रा भंडार से, न देश के विद्युतीकरण से, न फाइनेंशियल इंक्लूजन से, न जॉब ग्रोथ से, न GDP(सकल घरेलू उत्पादन) से, न रक्षा क्षेत्र के नए सौदों से, न सेना को मिल रहे नए हथियारों, उपकरणों, लड़ाकू व् लाजिस्टिक विमानों, AWACS( एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एन्ड कंट्रोल सिस्टम) से, न देश की रक्षार्थ विकसित किये जा रहे BMD(बैलिस्टिक मिसाइल डिफेन्स) सिस्टम से, व् न न्यूक्लियर क्षमता को धार देने हेतु विकसित किये जा रहे इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल कि MIRV(मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री वेहिकल) क्षमता से,
न वैश्विक कूटनीति में भारत द्वारा प्राप्त सफलताओं से, न भारत के MTCR, Australian group व् Wassenar agreement जैसे समूहों का सदस्य बनने से मतलब
उन्हें यदि मतलब है तो चार बीवियां रखने के आजादी, तीन तलाक, अधिकाधिक मदरसों व् मस्जिदों, कब्रिस्तानों की जमीन से, अधिकाधिक काफिर लड़कियों का धर्मंपरिवर्तन करवाकर इस्लाम में लाने से, उन्हें मतलब है तो अवैध बंग्लादेशी व् रोहिंग्या घुसपैठियों को भारत में बसाने से जिससे की अधिकाधिक मुसलमान पैदा हों इस्लामिक जनसंख्या बढ़े और काफिरों की इस भूमि पर शीघ्र इस्लाम का कब्जा हो सके, उन्होंने मजहब के नाम पर भारत के तीन टुकड़े करवा दिए और अब जो एक हिस्सा हिंदुओं को मिला है उसे हथियाने में लगे हैं,
और सेक्युलरिज़्म का कम्बल ओढ़कर सोता हिंदू अभी तक समझ ही नहीं पाया है कि उसका अस्तित्व व् भविष्य संकट में है, उसे तो हर वो व्यक्ति जो ये यथार्थ समझाने का प्रयास करता है वो कुत्सित-छोटी दकियानूसी सोच वाला सांप्रदायिक व् संघी लगता है जो देश के सौहाद्र को बिगाड़ना चाहता है,
समस्या ये है कि आज का लिखा पढ़ा उच्च शिक्षित हिंदू समाज अपनी असुरक्षा से बेखबर होकर अपने संकीर्ण उद्देश्यों को पाने में लगा है, एक अच्छी नौकरी, एक अच्छी पत्नी एक महंगे स्कूल में पढ़ती सन्तान, एक अच्छा घर एक महंगी कार, ठीक वही स्थति कश्मीर, असम, कैराना, कंदला, शामली व् बंगाल के हिंदुओं की थी, उनकी परिणीति क्या हुई किसी से छिपा नहीं है, मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक हुई तो उन्होंने हिंदुओं पर हमला किया पुरुषों को मार दिया गया महिलाओं संग बलात्कार कर इस्लाम कुबूल करवा दिया गया और रख लिया, उनके घरों मकानों सम्पत्ति पर कब्जा कर लिया गया, बचे खुचे जान बचाकर घर, सम्पत्ति रोजगार छोड़कर भाग गए और आज रिफ्यूजी बने बैठे हैं
हिन्दू कभी न तो आक्रामक रहा न संगठित, अतः वो अपनी रक्षा हेतु सरकारों व् प्रशासन पर निर्भर है, और सरकारें यदि मुस्लिमों के वोट बैंक के आधार पर बनी हो तो वो किसी भी साम्प्रदायिक तनाव कि स्थिति में पहले ये देखती हैं कि कहीं कार्यवाही में अपने वोट बैंक को तो समस्या नहीं हो जायेगी, और यदि ऐसा होता है तो वो उस साम्प्रदायिक तनाव में कार्यवाही ही नहीं करती की सब अपने आप सलट जायेगा,
उदाहरण कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस सरकार, यूपी की समाजवादी सरकार, असम की कांग्रेस सरकार, बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार, इन सभी जगह मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं का नरसंहार हुआ, अब क्योंकि ये अब सरकारें मुस्लिमों और सेक्युलर हिंदुओं के वोट से बनीं थी अतः इन्होंने किसी भी साम्प्रदायिक तनाव में पीड़ित हिन्दू पक्ष की रक्षा व् उन्हें न्याय दिलवाने हेतु कुछ नहीं किया, और हजारों हिन्दू मारे गए, उनके घरों, सम्पत्तियों महिलाओं पर कब्जा कर लिया गया।
मुर्ख सेक्युलर राजनेता व् सेक्युलर राजनितिक दल अपने अभी के लाभ हेतु मुस्लिम तुष्टिकरण कर मुसलमानों के उद्देश्य प्राप्ति में सहयोग करते हैं, किन्तु उन्हें समझ ही नहीं की एक बार जब मुस्लिम जनसंख्या हिंदुओं से अधिक हो गयी तब ये सेक्युलरिज़्म की बात करने वाला कोई नहीं होगा,
और तब, न तो हिन्दू जनसंख्या व् उनकी सम्पत्ति सुरक्षित रहेगी न इन सेक्युलर राजनेताओं की, और उस स्थिति में इन नेताओं के राजनितिक धंधे पर भी पूर्ण विराम लग जायेगा, बंग्लादेश व् पाकिस्तान का उदाहरण उठाकर देख लीजिये, हिंदुओं कि क्या स्थिति है, 56 इस्लामिक देश हैं, हिंदुओं का केवल एक देश है, विपरीत परिस्थिति आयी तो कहाँ जाओगे ?
हिन्दू अपनी लड़ाई स्वयं लड़ने में अभी सक्षम नहीं है तो कम से कम दिमाग का प्रयोग कर सरकारें तो ऐसी चुने जो समय आने पर प्रशासन, पुलिस व् सुरक्षाबल लगाकर उनकी जान माल कि रक्षा कर सके।
:Rohan Sharma
लिंगायत-वीरशैव्य के वोट बंटवाकर व् मुस्लिम-ईसाई वोट बटोरने की नीति स्पष्ट है,
किन्तु क्या आपने सोचा की मुस्लिम व् मुस्लिम संगठन क्यों कांग्रेस का समर्थन करते रहे है ?
आप माने या न मानें मुस्लिम राजनितिक रूप से हिन्दू से कहीं अधिक परिपक्व हैं और उनका उद्देश्य एकदम स्पष्ट है, उन्हें काफिरों की इस भूमि भारत पर अधिपत्य स्थापित करना है और और जो भी राजनितिक दल इस काम में उनकी सहायता करेगा वो उसी को वोट देंगे,
उन्हें न लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स से मतलब, न इंफ्लेशन से, उन्हें न तो HDI (ह्यूमन डेवलपमेंट इंडेक्स) से मतलब है, न WPI(होलसेल प्राइस इंडेक्स)-CPI(कमोडिटी प्राइस इंडेक्स) से, न IIP(इंडेक्स ऑफ़ इंडट्रीयल प्रोडक्शन) से,
न उन्हें फिस्कल डेफिसिट से मतलब, न करेंट अकाउंट डेफिसिट से, न विदेशी मुद्रा भंडार से, न देश के विद्युतीकरण से, न फाइनेंशियल इंक्लूजन से, न जॉब ग्रोथ से, न GDP(सकल घरेलू उत्पादन) से, न रक्षा क्षेत्र के नए सौदों से, न सेना को मिल रहे नए हथियारों, उपकरणों, लड़ाकू व् लाजिस्टिक विमानों, AWACS( एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एन्ड कंट्रोल सिस्टम) से, न देश की रक्षार्थ विकसित किये जा रहे BMD(बैलिस्टिक मिसाइल डिफेन्स) सिस्टम से, व् न न्यूक्लियर क्षमता को धार देने हेतु विकसित किये जा रहे इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल कि MIRV(मल्टीपल इंडिपेंडेंट टारगेटेबल री-एंट्री वेहिकल) क्षमता से,
न वैश्विक कूटनीति में भारत द्वारा प्राप्त सफलताओं से, न भारत के MTCR, Australian group व् Wassenar agreement जैसे समूहों का सदस्य बनने से मतलब
उन्हें यदि मतलब है तो चार बीवियां रखने के आजादी, तीन तलाक, अधिकाधिक मदरसों व् मस्जिदों, कब्रिस्तानों की जमीन से, अधिकाधिक काफिर लड़कियों का धर्मंपरिवर्तन करवाकर इस्लाम में लाने से, उन्हें मतलब है तो अवैध बंग्लादेशी व् रोहिंग्या घुसपैठियों को भारत में बसाने से जिससे की अधिकाधिक मुसलमान पैदा हों इस्लामिक जनसंख्या बढ़े और काफिरों की इस भूमि पर शीघ्र इस्लाम का कब्जा हो सके, उन्होंने मजहब के नाम पर भारत के तीन टुकड़े करवा दिए और अब जो एक हिस्सा हिंदुओं को मिला है उसे हथियाने में लगे हैं,
और सेक्युलरिज़्म का कम्बल ओढ़कर सोता हिंदू अभी तक समझ ही नहीं पाया है कि उसका अस्तित्व व् भविष्य संकट में है, उसे तो हर वो व्यक्ति जो ये यथार्थ समझाने का प्रयास करता है वो कुत्सित-छोटी दकियानूसी सोच वाला सांप्रदायिक व् संघी लगता है जो देश के सौहाद्र को बिगाड़ना चाहता है,
समस्या ये है कि आज का लिखा पढ़ा उच्च शिक्षित हिंदू समाज अपनी असुरक्षा से बेखबर होकर अपने संकीर्ण उद्देश्यों को पाने में लगा है, एक अच्छी नौकरी, एक अच्छी पत्नी एक महंगे स्कूल में पढ़ती सन्तान, एक अच्छा घर एक महंगी कार, ठीक वही स्थति कश्मीर, असम, कैराना, कंदला, शामली व् बंगाल के हिंदुओं की थी, उनकी परिणीति क्या हुई किसी से छिपा नहीं है, मुस्लिमों की जनसंख्या अधिक हुई तो उन्होंने हिंदुओं पर हमला किया पुरुषों को मार दिया गया महिलाओं संग बलात्कार कर इस्लाम कुबूल करवा दिया गया और रख लिया, उनके घरों मकानों सम्पत्ति पर कब्जा कर लिया गया, बचे खुचे जान बचाकर घर, सम्पत्ति रोजगार छोड़कर भाग गए और आज रिफ्यूजी बने बैठे हैं
हिन्दू कभी न तो आक्रामक रहा न संगठित, अतः वो अपनी रक्षा हेतु सरकारों व् प्रशासन पर निर्भर है, और सरकारें यदि मुस्लिमों के वोट बैंक के आधार पर बनी हो तो वो किसी भी साम्प्रदायिक तनाव कि स्थिति में पहले ये देखती हैं कि कहीं कार्यवाही में अपने वोट बैंक को तो समस्या नहीं हो जायेगी, और यदि ऐसा होता है तो वो उस साम्प्रदायिक तनाव में कार्यवाही ही नहीं करती की सब अपने आप सलट जायेगा,
उदाहरण कश्मीर की नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस सरकार, यूपी की समाजवादी सरकार, असम की कांग्रेस सरकार, बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार, इन सभी जगह मुस्लिमों द्वारा हिंदुओं का नरसंहार हुआ, अब क्योंकि ये अब सरकारें मुस्लिमों और सेक्युलर हिंदुओं के वोट से बनीं थी अतः इन्होंने किसी भी साम्प्रदायिक तनाव में पीड़ित हिन्दू पक्ष की रक्षा व् उन्हें न्याय दिलवाने हेतु कुछ नहीं किया, और हजारों हिन्दू मारे गए, उनके घरों, सम्पत्तियों महिलाओं पर कब्जा कर लिया गया।
मुर्ख सेक्युलर राजनेता व् सेक्युलर राजनितिक दल अपने अभी के लाभ हेतु मुस्लिम तुष्टिकरण कर मुसलमानों के उद्देश्य प्राप्ति में सहयोग करते हैं, किन्तु उन्हें समझ ही नहीं की एक बार जब मुस्लिम जनसंख्या हिंदुओं से अधिक हो गयी तब ये सेक्युलरिज़्म की बात करने वाला कोई नहीं होगा,
और तब, न तो हिन्दू जनसंख्या व् उनकी सम्पत्ति सुरक्षित रहेगी न इन सेक्युलर राजनेताओं की, और उस स्थिति में इन नेताओं के राजनितिक धंधे पर भी पूर्ण विराम लग जायेगा, बंग्लादेश व् पाकिस्तान का उदाहरण उठाकर देख लीजिये, हिंदुओं कि क्या स्थिति है, 56 इस्लामिक देश हैं, हिंदुओं का केवल एक देश है, विपरीत परिस्थिति आयी तो कहाँ जाओगे ?
हिन्दू अपनी लड़ाई स्वयं लड़ने में अभी सक्षम नहीं है तो कम से कम दिमाग का प्रयोग कर सरकारें तो ऐसी चुने जो समय आने पर प्रशासन, पुलिस व् सुरक्षाबल लगाकर उनकी जान माल कि रक्षा कर सके।
:Rohan Sharma