ईरान
को अनुमान ही नही है उसने अपनी मूर्खता में इज़रायल के गोलन हाइट्स पर हमला
कर क्या कर दिया है, और किस झमेले में अपनी जान फंसाई है, इस हमले के कारण
अब तक #ईरान ने #सीरिया में जो मिलिट्री बेस बनाकर अपने पांव जमाये थे और इलाके में बढ़त बना के रखी थी वो सब समाप्त होने को आ गया है, फायदा #अमेरिका व #NATO को हुआ है और नुकसान सीरिया, ईरान व #रूस को।
अब जरा स्थिति को गहराई से और वहां चल रहे खेल को समझते हैं ,
ईरान सीरिया में 14 मिलिट्री बेस बनाकर ऐसे ही नही बैठा है उसकी महत्वकांक्षा है कि ईरान के नेतृत्व में मिडिल ईस्ट में एक #शिया एम्पायर खड़ा हो जो कि #सुन्नी ब्लॉक के समकक्ष हो,
जिसमे #लेबनन,सीरिया #इराक और ईरान सम्मिलित हों, और मिडिल ईस्ट में शक्ती का संतुलन बनाने हेतु वो ठीक भी जान पड़ता है, सुन्नी ब्लॉक को अमेरिका व NATO का समर्थन प्राप्त है, जिसमे #सऊदी, #टर्की, #UAE हैं, और इसलिए शिया ब्लॉक को समर्थन देने रूस खड़ा हुआ है,
अमेरिका ने जब सीरिया युद्ध में एंट्री ली तो कहीं ऐसा न हो कि सीरिया से असद कि सत्ता निपटा कर अमेरिका पूरे इलाके में सुन्नी ब्लॉक को एकक्षत्र राज दे दे इसीलिए रूस भी सीरिया में उतरा, और ईरान अपना स्वार्थ सिद्ध करने हेतु भी सीरिया में घुसा,
ईरान अब तक सफलता पूर्वक आगे भी बढ़ रहा था और सुन्नी विद्रोहियों को निपटा कर सीरिया में अच्छी खासी पैठ भी बना ली थी, और ईरान को आवश्यकता थी कि अब तक जो बनाया है उसे संजोने की,
किन्तु ईरान को इज़रायल के कंट्रोल वाले गोलन हाइट्स पर आधिपत्य स्थापित करने का लालच आ गया और ईरान ये समझ बैठा था कि रूस की सीरिया में उपस्थिति के कारण #इज़रायल उसके द्वारा किये गए किसी भी हमले का जवाब पूरी शक्ति व आक्रामकता संग नही देगा, बहुत हुआ तो ईरान द्वारा फायर की गई मिसाइलों के बदले इज़रायल से भी कुछ मिसाइल ही फायर होंगी, फिर जब निरन्तर ये स्थिति बनी रहेगी और इसे सामान्य स्थिति के रूप में स्वीकार कर लिया जाएगा तो इज़रायल भी बार बार कि इस लड़ाई से बचने हेतु पीछे हटने की सोचेगा और फिर ईरान गोलन हाइट्स पर अपना आधिपत्य स्थापित कर पायेगा,
किन्तु ईरान का आकलन पूर्णतः गलत था, ईरान ने इज़रायल पर 22 मिसाइल फायर की जिसे इज़रायल के IRON Dome डिफेंस ने विफल किया और अधिकांश मिसाइल हवा में ही मार गिरायीं, इसके बाद इज़रायल ने ईरान की पोज़िशन पर शेल्लिंग शुरू की और अगले 20 मिनट के अंदर 10 मिसाइल फायर कीं, ईरान ये समझ बैठा था कि बस ये इतनी सी ही इज़रायल की प्रतिक्रिया थी,
किंतु वास्तव में इज़रायल ने वो 20 मिनट का समय खरीदा था अपने F-15 व F-16 लड़ाकू विमानों को ईरानी ठिकानों को नष्ट करने हेतु तैयार करने के लिए, और फिर इज़रायल के मिलिट्री बेस से 28 लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी और जो प्रतिक्रिया दी उसका अनुमान किसी को नही था ईरान के 50 स्ट्रेटेजिक असेट्स नष्ट किये गए, राडार स्टेशन, इंटेलिजेंस सेंटर, एम्युनिशन डिपो, मीडिया व कम्युनिकेशन टावर्स, मिसाइल लॉन्चर्स, लॉजिस्टिक हेडक्वार्टर, दमस्कस के मिलिट्री कम्पाउंड दक्षिण,उत्तर व पूर्व और इंटरनेशनल एयरपोर्ट और रनवे को निशाना बनाया गोलन हाइट्स के पास स्थित ईरान की निगरानी पोस्ट व मिलिट्री पोस्ट भी हिट की गई, लगभग पूरा ईरान का सीरिया स्थित मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर ध्वस्त किया गया,
ईरान के टार्गेट्स पर हमले के समय इज़रायल ने स्पष्ट शब्दों में सीरिया को हस्तक्षेप न करने को कहा था परन्तु बशर-अल-असद के सीरियाई एयर डिफेंस ने इज़रायली जेट्स पर SAM सर्फेस टू एयर मिसाइल्स फायर की जिसके बाद इज़रायली जेट्स ने सीरियन एयर डिफेंस बैटरीज को निशाना बनाया और सीरियन एयर डिफन्स को गम्भीर क्षति पहुंचाई
प्रशंसनीय बात ये है कि इज़रायल की इंटेलीजेंस को सीरिया स्थित ईरानी एसेट्स उनकी क्षमता की एकदम एक्यूरेट जानकारी थी और उसी के आधार पर एकदम सटीक हमले किये गए, और बिना सिविलयन आबादी को हिट किये अपना उद्देश्य प्राप्त किया
ध्यान देने योग्य बात ये रही कि रूस की सेना उसका अपना एयर डिफेंस, उसके फाइटर जेट्स भी सीरिया में हैं, न तो रूस ने इज़रायल के जेट्स को निशाना बनाया न ही इज़रायल की ओर से रूस के किसी भी एसेट को निशाना बनाया गया, और रूस ने हस्तक्षेप करने का कोई प्रयास भी नही किया है, न इन हमलों को चैलेंज किया न निंदा की बस तनाव कम करने की अपील की है,
इस समय रूस जो सीरियाई रिजीम के समर्थन में खड़ा है वो भी ईरान की मूर्खता पर निराश होगा कि क्षेत्र में जो बढ़त मिली थी वो सब क्षणिक इस्लामिक जुनून की बलि चढ़ गई,
अमेरिका इस समय मन ही मन इसलिए खुश होगा कि जो काम वो खुद करना चाह रहा था किंतु कर नही पा रहा था, वो खुद ईरान ने इज़रायल से करवा दिया, सबसे रोचक बात ये हैं कि यहूदियों का विरोधी मिडिल ईस्ट का पूरा सुन्नी ब्लॉक इस समय इज़रायल के ईरानी टार्गेट्स पर हमलों को मौन सहमति दे रहा है
और इस समय भारत केवल यही कामना कर सकता है कि ये तनाव और आगे न बढ़े और इतने पर ही रुक जाए।
:Rohan Sharma
अब जरा स्थिति को गहराई से और वहां चल रहे खेल को समझते हैं ,
ईरान सीरिया में 14 मिलिट्री बेस बनाकर ऐसे ही नही बैठा है उसकी महत्वकांक्षा है कि ईरान के नेतृत्व में मिडिल ईस्ट में एक #शिया एम्पायर खड़ा हो जो कि #सुन्नी ब्लॉक के समकक्ष हो,
जिसमे #लेबनन,सीरिया #इराक और ईरान सम्मिलित हों, और मिडिल ईस्ट में शक्ती का संतुलन बनाने हेतु वो ठीक भी जान पड़ता है, सुन्नी ब्लॉक को अमेरिका व NATO का समर्थन प्राप्त है, जिसमे #सऊदी, #टर्की, #UAE हैं, और इसलिए शिया ब्लॉक को समर्थन देने रूस खड़ा हुआ है,
अमेरिका ने जब सीरिया युद्ध में एंट्री ली तो कहीं ऐसा न हो कि सीरिया से असद कि सत्ता निपटा कर अमेरिका पूरे इलाके में सुन्नी ब्लॉक को एकक्षत्र राज दे दे इसीलिए रूस भी सीरिया में उतरा, और ईरान अपना स्वार्थ सिद्ध करने हेतु भी सीरिया में घुसा,
ईरान अब तक सफलता पूर्वक आगे भी बढ़ रहा था और सुन्नी विद्रोहियों को निपटा कर सीरिया में अच्छी खासी पैठ भी बना ली थी, और ईरान को आवश्यकता थी कि अब तक जो बनाया है उसे संजोने की,
किन्तु ईरान को इज़रायल के कंट्रोल वाले गोलन हाइट्स पर आधिपत्य स्थापित करने का लालच आ गया और ईरान ये समझ बैठा था कि रूस की सीरिया में उपस्थिति के कारण #इज़रायल उसके द्वारा किये गए किसी भी हमले का जवाब पूरी शक्ति व आक्रामकता संग नही देगा, बहुत हुआ तो ईरान द्वारा फायर की गई मिसाइलों के बदले इज़रायल से भी कुछ मिसाइल ही फायर होंगी, फिर जब निरन्तर ये स्थिति बनी रहेगी और इसे सामान्य स्थिति के रूप में स्वीकार कर लिया जाएगा तो इज़रायल भी बार बार कि इस लड़ाई से बचने हेतु पीछे हटने की सोचेगा और फिर ईरान गोलन हाइट्स पर अपना आधिपत्य स्थापित कर पायेगा,
किन्तु ईरान का आकलन पूर्णतः गलत था, ईरान ने इज़रायल पर 22 मिसाइल फायर की जिसे इज़रायल के IRON Dome डिफेंस ने विफल किया और अधिकांश मिसाइल हवा में ही मार गिरायीं, इसके बाद इज़रायल ने ईरान की पोज़िशन पर शेल्लिंग शुरू की और अगले 20 मिनट के अंदर 10 मिसाइल फायर कीं, ईरान ये समझ बैठा था कि बस ये इतनी सी ही इज़रायल की प्रतिक्रिया थी,
किंतु वास्तव में इज़रायल ने वो 20 मिनट का समय खरीदा था अपने F-15 व F-16 लड़ाकू विमानों को ईरानी ठिकानों को नष्ट करने हेतु तैयार करने के लिए, और फिर इज़रायल के मिलिट्री बेस से 28 लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी और जो प्रतिक्रिया दी उसका अनुमान किसी को नही था ईरान के 50 स्ट्रेटेजिक असेट्स नष्ट किये गए, राडार स्टेशन, इंटेलिजेंस सेंटर, एम्युनिशन डिपो, मीडिया व कम्युनिकेशन टावर्स, मिसाइल लॉन्चर्स, लॉजिस्टिक हेडक्वार्टर, दमस्कस के मिलिट्री कम्पाउंड दक्षिण,उत्तर व पूर्व और इंटरनेशनल एयरपोर्ट और रनवे को निशाना बनाया गोलन हाइट्स के पास स्थित ईरान की निगरानी पोस्ट व मिलिट्री पोस्ट भी हिट की गई, लगभग पूरा ईरान का सीरिया स्थित मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर ध्वस्त किया गया,
ईरान के टार्गेट्स पर हमले के समय इज़रायल ने स्पष्ट शब्दों में सीरिया को हस्तक्षेप न करने को कहा था परन्तु बशर-अल-असद के सीरियाई एयर डिफेंस ने इज़रायली जेट्स पर SAM सर्फेस टू एयर मिसाइल्स फायर की जिसके बाद इज़रायली जेट्स ने सीरियन एयर डिफेंस बैटरीज को निशाना बनाया और सीरियन एयर डिफन्स को गम्भीर क्षति पहुंचाई
प्रशंसनीय बात ये है कि इज़रायल की इंटेलीजेंस को सीरिया स्थित ईरानी एसेट्स उनकी क्षमता की एकदम एक्यूरेट जानकारी थी और उसी के आधार पर एकदम सटीक हमले किये गए, और बिना सिविलयन आबादी को हिट किये अपना उद्देश्य प्राप्त किया
ध्यान देने योग्य बात ये रही कि रूस की सेना उसका अपना एयर डिफेंस, उसके फाइटर जेट्स भी सीरिया में हैं, न तो रूस ने इज़रायल के जेट्स को निशाना बनाया न ही इज़रायल की ओर से रूस के किसी भी एसेट को निशाना बनाया गया, और रूस ने हस्तक्षेप करने का कोई प्रयास भी नही किया है, न इन हमलों को चैलेंज किया न निंदा की बस तनाव कम करने की अपील की है,
इस समय रूस जो सीरियाई रिजीम के समर्थन में खड़ा है वो भी ईरान की मूर्खता पर निराश होगा कि क्षेत्र में जो बढ़त मिली थी वो सब क्षणिक इस्लामिक जुनून की बलि चढ़ गई,
अमेरिका इस समय मन ही मन इसलिए खुश होगा कि जो काम वो खुद करना चाह रहा था किंतु कर नही पा रहा था, वो खुद ईरान ने इज़रायल से करवा दिया, सबसे रोचक बात ये हैं कि यहूदियों का विरोधी मिडिल ईस्ट का पूरा सुन्नी ब्लॉक इस समय इज़रायल के ईरानी टार्गेट्स पर हमलों को मौन सहमति दे रहा है
और इस समय भारत केवल यही कामना कर सकता है कि ये तनाव और आगे न बढ़े और इतने पर ही रुक जाए।
:Rohan Sharma
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