ईरान ने सीरिया से #इज़राइल के #गोलनहाइट्स आउट पोस्ट्स पर 22 मिसाइल फायर किये,
बदले में इज़राइल के 28 फाइटर जेट्स ईरान के सीरिया स्थित बेसों पर 60 रॉकेट्स फायर कर चुके है,
इज़रायल पर इस तरह से हमले की पहल करना ये #ईरान की घनघोर मूर्खता के सिवाय और कुछ नहीं है, अमेरिका आज ईरान न्यूक्लियर डील से कदम पीछे खींच चुका है, किंतु #ब्रिटेन व् #फ़्रांस उस डील पर ईरान के संग बने हुए थे,
किन्तु अब जब ईरान ने इजराइल के गोलन हाइट्स आउटपोस्ट पर हमला कर पहल कर दी है, तो अब वो अग्रेसर साबित हो चुका है, अब ब्रिटेन व् फ़्रांस को भी ईरान न्यूक्लियर डील से कदम पीछे खींचने होंगे, स्वयं की मूर्खता से नुकसान ईरान का हुआ।
अब इज़राइल #सीरिया में स्थित ईरान के सभी 14 बेसेस नष्ट करेगा, पश्चिमी देश व् अधिकांश सुन्नी देश चुप रहेंगे, #रूस यदि बीच में उतरता है तो फिर अमेरिका भी उतरेगा और सीरिया का बचा खुचा सत्यानाश पीटना भी तय मानिए, स्थितियां यदि और बिगड़ीं तो फिर इज़राइल व् #NATO देशों के सामने रूस, ईरान व् सीरिया होंगे आशा करता हूँ की ऐसी स्थिति न आये।
ईरान के लिए समझदारी इसी में है कि अभी ये नुकसान झेल ले व् स्थिति को और न बिगाड़े, अन्यथा इज़रायल ईरान के न्यूक्लियर इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाने से भी पीछे नहीं हटेगा, और यदि ईरान पूर्ण रूप से यानि अपनी जमीन से युद्ध में उतरने का प्रयास भी करता है तो परिणाम ईरान के लिए घातक होंगे।
भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो अब अमेरिका ईरान पर और सेंक्शन लगवा सकता है यानि ईरान से तेल इम्पोर्ट करना तो मुश्किल होगा ही किन्तु ईरान के चाबहार पोर्ट में भारत द्वारा किया भारी भरकम 8 बिलियन डॉलर का निवेश भी संकट में आ सकता है, और भारत-ईरान ट्रेड पर तो विपरीत असर पड़ना तय है, और यदि "फुल ब्लोन वार" की स्थिति बनती है तो हानि भारत को भी होगी, और भारत का महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट नार्थ-साऊथ ट्रेड कॉरिडोर यानि NSTC भी संकट में आ सकता है।
आशा है कि दोनों पक्ष कुछ बुद्धि का प्रयोग करेंगे और ठंडे दिमाग से विचार कर अगला कदम उठाएंगे।
:Rohan sharma
बदले में इज़राइल के 28 फाइटर जेट्स ईरान के सीरिया स्थित बेसों पर 60 रॉकेट्स फायर कर चुके है,
इज़रायल पर इस तरह से हमले की पहल करना ये #ईरान की घनघोर मूर्खता के सिवाय और कुछ नहीं है, अमेरिका आज ईरान न्यूक्लियर डील से कदम पीछे खींच चुका है, किंतु #ब्रिटेन व् #फ़्रांस उस डील पर ईरान के संग बने हुए थे,
किन्तु अब जब ईरान ने इजराइल के गोलन हाइट्स आउटपोस्ट पर हमला कर पहल कर दी है, तो अब वो अग्रेसर साबित हो चुका है, अब ब्रिटेन व् फ़्रांस को भी ईरान न्यूक्लियर डील से कदम पीछे खींचने होंगे, स्वयं की मूर्खता से नुकसान ईरान का हुआ।
अब इज़राइल #सीरिया में स्थित ईरान के सभी 14 बेसेस नष्ट करेगा, पश्चिमी देश व् अधिकांश सुन्नी देश चुप रहेंगे, #रूस यदि बीच में उतरता है तो फिर अमेरिका भी उतरेगा और सीरिया का बचा खुचा सत्यानाश पीटना भी तय मानिए, स्थितियां यदि और बिगड़ीं तो फिर इज़राइल व् #NATO देशों के सामने रूस, ईरान व् सीरिया होंगे आशा करता हूँ की ऐसी स्थिति न आये।
ईरान के लिए समझदारी इसी में है कि अभी ये नुकसान झेल ले व् स्थिति को और न बिगाड़े, अन्यथा इज़रायल ईरान के न्यूक्लियर इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाने से भी पीछे नहीं हटेगा, और यदि ईरान पूर्ण रूप से यानि अपनी जमीन से युद्ध में उतरने का प्रयास भी करता है तो परिणाम ईरान के लिए घातक होंगे।
भारत के परिप्रेक्ष्य में देखें तो अब अमेरिका ईरान पर और सेंक्शन लगवा सकता है यानि ईरान से तेल इम्पोर्ट करना तो मुश्किल होगा ही किन्तु ईरान के चाबहार पोर्ट में भारत द्वारा किया भारी भरकम 8 बिलियन डॉलर का निवेश भी संकट में आ सकता है, और भारत-ईरान ट्रेड पर तो विपरीत असर पड़ना तय है, और यदि "फुल ब्लोन वार" की स्थिति बनती है तो हानि भारत को भी होगी, और भारत का महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट नार्थ-साऊथ ट्रेड कॉरिडोर यानि NSTC भी संकट में आ सकता है।
आशा है कि दोनों पक्ष कुछ बुद्धि का प्रयोग करेंगे और ठंडे दिमाग से विचार कर अगला कदम उठाएंगे।
:Rohan sharma
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