क्या आप जानते हैं कि अपने राहुल बाबा केवल एक नेशनल हेराल्ड वाले मामले में ही नहीं फंसे हैं,
वर्ष 2008 में जब केंद्र में व् हरयाणा में कांग्रेस की सरकारें थी तब अमेठी से सांसद राहुल गांधी चमत्कारिक रूप से एक खेती बाड़ी करने वाले किसान बन गए और अपने जीजा वाड्रा से प्रेरणा लेते हुए 3 मार्च 2008 को हरयाणा के पलवल डिस्ट्रिक्ट के हसनपुर गाँव में अपने जीजा वाड्रा की जमीन के पास सांसद राहुल गांधी जिनका दूर दूर तक खेती किसानी से कोई वास्ता नहीं रहा है ने “किसान’ बनकर 6 एकड़ की कृषि भूमि खरीदी थी 26.47 लाख में, और उसी दिन वाड्रा ने भी उसी गाँव में राहुल गांधी की जमीन के समीप 9 एकड़ की कृषि भूमि 36.9 लाख में खरीदी थी।
आपको जानकारी के लिए बता दूं कि भारत में कृषि भूमि केवल किसान ही खरीद सकते हैं व् यदि अन्य कोई ऐसा करता है तो ये भारतीय कानून व्यवस्था के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है, किन्तु ये नेहरू-गांधी परिवार तो अपने को भारत का मालिक समझता है तो इनके लिए कौन सा कानून भला, खैर प्लान बड़ा सरल था कि कौड़ियों के दाम में कृषि भूमि कब्जिया लो और फिर राज्य में सरकार तो अपनी है ही जिसके द्वारा लैंड यूज़ बदलवाकर उस भूमि को कृषि से कॉमर्शियल लैंड में बदलाव लेंगे जिससे भूमि की कीमत कई गुना बढ़ जाये और फिर उसे बेचकर मोटा माल कमाएंगे और उसे इटली के बैंक में जमा करवा आएंगे,
अब समस्या ये हो गयी की ये बात किसी तरह से मीडिया में आ गयी और उसके बाद हरयाणा में ओम प्रकाश चौटाला ने इसे मुद्दा बना दिया जिससे हुआ ये की वो 6 एकड़ जमीन राहुल बाबा के गले की हड्डी बन गयी, फिर जान छुड़ाने हेतु "किसान" राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी/वाड्रा को भी "किसान" बनवा दिया और वो 6 एकड़ जमीन उसे उपहार में दे दी,
मतलब घूम फिरकर जमीन लुटेरे परिवार के पास ही रही, किन्तु इस विषय के सार्वजनिक हो जाने से भारत की जनता को अनुमान हो गया कि इस लुटेरे नेहरू-गांधी परिवार का एक एक सदस्य घोटालेबाजी में निपुण व् पारंगत है, और इनकी राजनीती का उद्देश्य ही भारत व् भारत की जनता को लूट-खसोटकर अपनी दौलत की हवस पूरी करना है।
:Rohan Sharma
वर्ष 2008 में जब केंद्र में व् हरयाणा में कांग्रेस की सरकारें थी तब अमेठी से सांसद राहुल गांधी चमत्कारिक रूप से एक खेती बाड़ी करने वाले किसान बन गए और अपने जीजा वाड्रा से प्रेरणा लेते हुए 3 मार्च 2008 को हरयाणा के पलवल डिस्ट्रिक्ट के हसनपुर गाँव में अपने जीजा वाड्रा की जमीन के पास सांसद राहुल गांधी जिनका दूर दूर तक खेती किसानी से कोई वास्ता नहीं रहा है ने “किसान’ बनकर 6 एकड़ की कृषि भूमि खरीदी थी 26.47 लाख में, और उसी दिन वाड्रा ने भी उसी गाँव में राहुल गांधी की जमीन के समीप 9 एकड़ की कृषि भूमि 36.9 लाख में खरीदी थी।
आपको जानकारी के लिए बता दूं कि भारत में कृषि भूमि केवल किसान ही खरीद सकते हैं व् यदि अन्य कोई ऐसा करता है तो ये भारतीय कानून व्यवस्था के अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है, किन्तु ये नेहरू-गांधी परिवार तो अपने को भारत का मालिक समझता है तो इनके लिए कौन सा कानून भला, खैर प्लान बड़ा सरल था कि कौड़ियों के दाम में कृषि भूमि कब्जिया लो और फिर राज्य में सरकार तो अपनी है ही जिसके द्वारा लैंड यूज़ बदलवाकर उस भूमि को कृषि से कॉमर्शियल लैंड में बदलाव लेंगे जिससे भूमि की कीमत कई गुना बढ़ जाये और फिर उसे बेचकर मोटा माल कमाएंगे और उसे इटली के बैंक में जमा करवा आएंगे,
अब समस्या ये हो गयी की ये बात किसी तरह से मीडिया में आ गयी और उसके बाद हरयाणा में ओम प्रकाश चौटाला ने इसे मुद्दा बना दिया जिससे हुआ ये की वो 6 एकड़ जमीन राहुल बाबा के गले की हड्डी बन गयी, फिर जान छुड़ाने हेतु "किसान" राहुल गांधी ने अपनी बहन प्रियंका गांधी/वाड्रा को भी "किसान" बनवा दिया और वो 6 एकड़ जमीन उसे उपहार में दे दी,
मतलब घूम फिरकर जमीन लुटेरे परिवार के पास ही रही, किन्तु इस विषय के सार्वजनिक हो जाने से भारत की जनता को अनुमान हो गया कि इस लुटेरे नेहरू-गांधी परिवार का एक एक सदस्य घोटालेबाजी में निपुण व् पारंगत है, और इनकी राजनीती का उद्देश्य ही भारत व् भारत की जनता को लूट-खसोटकर अपनी दौलत की हवस पूरी करना है।
:Rohan Sharma
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