देश
के बहुसंख्यक समाज जिसे बुद्धिजीवियों ने "असहिष्णु", "आक्रामक" व्
"कट्टरपंथी" घोषित कर रखा है, वहां माताएं अपने बच्चों को दान-पुण्य करने,
निर्धन बच्चों को विद्यादान देने, निर्धन लोगों को भोजन व् पशु-पक्षियों को
भोजन करवाने की सीख देती हैं, सदाचारी बनने की सीख देतीं हैं,
दूसरी ओर देश का "डरा हुआ", "असुरक्षित", "पीड़ित", "शोषित" व् वंचित "अल्पसंख्यक" समाज है जहां उनकी माताएं स्वयं अपने बच्चों को गाजी की उपाधि व् जन्नत प्राप्ति करवाने हेतु काफिरों का सफाया करने अपने ही बच्चों को जेहाद के मार्ग पर आगे बढाने में उनकी सहयोगी बनती हैं।
संस्कारों व् मानसिकता का अंतर पूर्णतः स्पष्ट है.....
दूसरी ओर देश का "डरा हुआ", "असुरक्षित", "पीड़ित", "शोषित" व् वंचित "अल्पसंख्यक" समाज है जहां उनकी माताएं स्वयं अपने बच्चों को गाजी की उपाधि व् जन्नत प्राप्ति करवाने हेतु काफिरों का सफाया करने अपने ही बच्चों को जेहाद के मार्ग पर आगे बढाने में उनकी सहयोगी बनती हैं।
संस्कारों व् मानसिकता का अंतर पूर्णतः स्पष्ट है.....
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