ये
है वर्तमान में उदारवाद व् उन्नतिशीलता की वास्तविक तस्वीर जहां तथाकथित
प्रोग्रेसिव ओपन माइंडेड लिब्रल माता पिता स्वयम अपने 10 वर्षीय पुत्र को
लड़कियों की वेशभूषा धारण करवाकर उससे एक समलैंगिक बार में अश्लील नृत्य
करवा रहे हैं और वयस्क समलैंगिक लोग उस लड़कियों की वेश भूषा धारण किये
बच्चे पर नोट उड़ा रहे हैं और वो बच्चा उसे बटोर रहा है, यानी अब
"उन्नतिशीलता" के नाम पर बाल यौन शोषण को भी मान्यता दी जा रही है और
मीडिया व् LGBT उसे महिमामंडित कर रहा है, और उस बच्चे के माता-पिता अपने बच्चे के द्वारा धन कमा रहे हैं।
लगभग 6 वर्ष की आयु से इस बच्चे को इसके माता पिता द्वारा ड्रैग क्वीन के
रूप में "ग्रूम" किया जा रहा है और गे प्राइड परेड्स में ले जाकर उससे
परफॉर्म करवाया जा रहा है,
आखिर 6 वर्ष के बच्चे को जेंडर आइडेंटिटी और अपनी सेक्शुअल ओरिएंटेशन की भला क्या समझ होगी ?
किंतु एक बड़ा वर्ग इस बच्चे के माता-पिता की तारीफों के पुल बांध रहा है और उनकी उदारवादी उन्नतिशील सोच को सलाम कर रहा है
और ऐसे कई अन्य उदाहरण भी सामने आये हैं जहां ये LGBT और उसके समर्थक नाबालिग बच्चों को भृमित कर उन्हें अपनी सेक्शुएलिटी एक्सप्लोर करने के नाम पर बरगलाते हैं, और कई मामलों में तो यह कार्य बच्चों के पैरेंट्स ही करते हैं, और यह वाला उदाहरण तो सीधे सीधे बाल यौन शोषण ही है।
पश्चिम में उतपन्न हो रही इस विचित्र स्थिति पर एक ट्वीट पढ़ा था जिसमें कहा गया था कि एक ओर तो शांतिदूत शरणार्थी व् माइग्रेंट्स भरने के कारण वहां शांतिदूतों की आबादी बढ़ाई जा रही है, महिलाओं के विरुद्ध यौन शोषण व् बलात्कार जैसे अपराधों में निरन्तर बढ़ोतरी हो रही है, और दूसरी ओर इन समस्याओं से जूझ रहे समाज के युवाओं को इन वास्तविक विषयों से भटकाकर व् भृमित कर उन्हें होमोसेक्शुऐलिटी का महिमामंडन कर उस ओर मोड़ दिया जा रहा है।
और जिस प्रकार से हर पश्चिमी ट्रेंड को भारत में ढो कर ले आया जाता है, जैसे की "ब्लैक लाइव्स मैटर" का "दलित लाइव्स मैटर", "व्हाइट पैट्रिआर्कि" का "ब्राह्मानिकल पैट्रिआर्कि" तो अब विचारणीय बात है कि कहीं 377 के बाद इसी प्रकार की नौंटकी भारत में न आ जाए।
आखिर 6 वर्ष के बच्चे को जेंडर आइडेंटिटी और अपनी सेक्शुअल ओरिएंटेशन की भला क्या समझ होगी ?
किंतु एक बड़ा वर्ग इस बच्चे के माता-पिता की तारीफों के पुल बांध रहा है और उनकी उदारवादी उन्नतिशील सोच को सलाम कर रहा है
और ऐसे कई अन्य उदाहरण भी सामने आये हैं जहां ये LGBT और उसके समर्थक नाबालिग बच्चों को भृमित कर उन्हें अपनी सेक्शुएलिटी एक्सप्लोर करने के नाम पर बरगलाते हैं, और कई मामलों में तो यह कार्य बच्चों के पैरेंट्स ही करते हैं, और यह वाला उदाहरण तो सीधे सीधे बाल यौन शोषण ही है।
पश्चिम में उतपन्न हो रही इस विचित्र स्थिति पर एक ट्वीट पढ़ा था जिसमें कहा गया था कि एक ओर तो शांतिदूत शरणार्थी व् माइग्रेंट्स भरने के कारण वहां शांतिदूतों की आबादी बढ़ाई जा रही है, महिलाओं के विरुद्ध यौन शोषण व् बलात्कार जैसे अपराधों में निरन्तर बढ़ोतरी हो रही है, और दूसरी ओर इन समस्याओं से जूझ रहे समाज के युवाओं को इन वास्तविक विषयों से भटकाकर व् भृमित कर उन्हें होमोसेक्शुऐलिटी का महिमामंडन कर उस ओर मोड़ दिया जा रहा है।
और जिस प्रकार से हर पश्चिमी ट्रेंड को भारत में ढो कर ले आया जाता है, जैसे की "ब्लैक लाइव्स मैटर" का "दलित लाइव्स मैटर", "व्हाइट पैट्रिआर्कि" का "ब्राह्मानिकल पैट्रिआर्कि" तो अब विचारणीय बात है कि कहीं 377 के बाद इसी प्रकार की नौंटकी भारत में न आ जाए।
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