Thursday, January 3, 2019

डोनल्ड ट्रंप द्वारा मोदी का उपहास उड़ाना विकृत अमेरिकी सोच का परिचायक

डॉनल्ड ट्रंप बाबू को इस बात की मिर्ची लगी हुई है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी स्टैंडिंग आर्मी के मालिक भारत ने अमेरिका के कहने पर अफगानिस्तान में अपनी फौज नहीं डिप्लॉय की,
और इसी खुन्नस में आज वो नरेंद्र मोदी द्वारा अफगानिस्तान में एक पुस्तकालय बनवाने का उपहास उड़ा रहे,
मैं नहीं जानता कि डोनाल्ड ट्रम्प को शिक्षा का महत्व कितना समझ में आता है, किंतु डॉनल्ड ट्रंप से मैं जानना चाहूंगा यदि अफगानिस्तान में सेना की उपस्थिति इतनी ही जरूरी है तो अमेरिका क्यों इतने वर्षों से निरंतर अफगानिस्तान से अपनी सेना कम करता जा रहा है, और आज वहां से किसी भी तरह निकलने की फिराक में क्यों है ?
यदि डॉनल्ड ट्रंप यह सोच कर बैठे हैं की अमेरिकंस अफगानिस्तान से निकल जाएंगे, और उनके स्थान पर इंडियन फोर्सेज अफगानिस्तान संभालेगी तो डोनल्ड ट्रम्प को यह पता होना चाहिए कि अफगानिस्तान अमेरिका द्वारा उत्पन्न की गई समस्या है,
अमेरिकंस जितना शीघ्र यह समझ व् स्वीकार लें कि भारत कोई पाकिस्तान नहीं है, और भारत तथा पाकिस्तान में जमीन आसमान का अंतर है, और यह अंतर सदैव बना रहेगा, उतना ही दोनों देशों के आपसी सम्बन्धों के लिए अच्छा होगा, हम भारतीय कोई मर्सिनरी नहीं हैं जो पैसों के बदले अपने सैनिकों को दूसरों के लिये मरने भेज दें, भारत ने दुनिया भर में अमेरिका की फैलाई अव्यवस्था को साफ करने का ठेका नहीं ले रखा है,
अफगानिस्तान की समस्या अमेरिका द्वारा निर्मित की गई है ,
किंतु उसके बावजूद भी :
🌀 भारत पूरे एशिया में अफगानिस्तान को सर्वाधिक दान देने वाला और विश्व का 5वां सर्वाधिक दान देने वाला देश है,
🌀 भारत अफगानिस्तान में सड़कों का निर्माण कर रहा है,
🌀 अफ़ग़ान पार्लियामेंट भारत ने बनाया है
🌀 पानी की कमी से जूझने वाले अफगानिस्तान को बांध बनाकर भारत ने दिए हैं
🌀 भारत ने अफगानिस्तान को 3 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता दी है
🌀 1500 से अधिक अफगानों को स्कॉलरशिप दी है
🌀 भारत, अफगानिस्तान के नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहा है
🌀 16000 अफगानी छात्र आज विभिन्न सहायता प्रोग्राम के अंतर्गत भारत में पढ़ रहे हैं
🌀 सैकड़ों भारतीय कंपनियां और भारतीय प्रोफेशनल अफगानिस्तान का पुनर्निर्माण करने में लगे हुए हैं
🌀 अफगानी सैनिकों और फोर्सेस को भारत ट्रेन कर रहा है
🌀 अफगानिस्तान की सेना को आतंकियों से निपटने हेतु हैलीकॉप्टर गनशिप भारत ने दिए हैं
और इस सबके बावजूद ट्रम्प को यदि केवल भारत द्वारा अफगानिस्तान में निर्मित लाइब्रेरी ही दिखती है,
तो यह उनका संकीर्ण व् विकृत दृष्टिकोण है,
डॉनल्ड ट्रंप जैसे लोगों को यह समझने की आवश्यकता है की हर देश ना तो ब्रिटेन की तरह अमेरिका का पिछलग्गू बन सकता है, ना ही पाकिस्तान की तरह पैसों के बदले उनकी गंदगी उठाने वाला,
कुछ देशों का अपना स्वयं का आत्मसम्मान होता है और वे किसी अन्य की आर्थिक सहायता पर निर्भर नही होते, और वे दूसरों के साथ बराबरी का व्यवहार चाहते हैं।
किंतु हां मैं स्वीकार करता हूं कि अमेरिका ने पिछले 4.5 वर्षों में विभिन्न वैश्विक फोरम पर भारत के लिए लॉबिंग की है, एमटीसीआर, वासेनार ऑस्ट्रेलियन ग्रुप में भारत को सदस्यता दिलवाने में भूमिका निभाई है, साथ ही साथ एनएसजी में भी भारत का स्थान सुनिश्चित करने हेतु प्रयास किया, अपाचे, चिनूक, प्रिडेटर जैसे आर्म्ड ड्रोन बेचे हैं, परंतु याद रखें भारत ने यह सारे हथियार उनका मूल्य चुकाकर खरीदे हैं पाकिस्तान की तरह दान में नहीं लिए हैं,
और यह भी सत्य है कि इस सबके पीछे अमेरिका का अपना हित है और चीन को कंटेन करने के लिए उसे एशिया में भारत जैसी सशक्त आर्थिक, सामरिक और सैन्य महाशक्ति की आवश्यकता है, अतः ट्रम्प जैसों को अब वस्त्वविक्ता स्वीकारने की और भारत के निर्णयों का सम्मान करने की आदत डाल लेनी चाहिए।
🇮🇳Rohan Sharma🇮🇳

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